नयी दिल्ली , नवंबर 06 -- उच्चतम न्यायालय ने गुरूवार को समाजवादी पार्टी नेता आज़म खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खान पर फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट लेने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र की खंडपीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि जब मामले का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है, तो इस स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

बेंच ने कहा, "हम दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि निचली अदालत सभी मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेगी और उच्च न्यायालय की किसी भी टिप्पणी से प्रभावित नहीं होगी।"सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुन्दरेश ने कहा, " निचली अदालत पर भरोसा रखिए। जब मुकदमे की सुनवाई पूरी हो चुकी है, तो अब हम क्यों दखल दें?"प्राथमिकी के अनुसार, श्री अब्दुल्ला आज़म पर आरोप है कि उन्होंने पासपोर्ट बनवाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और अपनी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 के बजाय 30 सितंबर 1990 बताई। यह मामला रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज किया गया था।

उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत आरोप तय किए गए हैं। इन धाराओं के तहत आरोप नौ सितंबर 2021 को तय हुए थे।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर में भी श्री अब्दुल्ला आज़म और उनके पिता आज़म खान की एक अन्य याचिका खारिज की थी। यह पैन कार्ड से जुड़ी फर्जीवाड़े के मामले में दायर की गई थी। उस मामले में भी अदालत ने कहा था कि निचली अदालत में सुनवायी पूरी हो चुकी है और उसे जल्द फैसला सुनाना चाहिए।

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