नयी दिल्ली , अक्टूबर 21 -- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शीर्ष निकाय 'स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज' (स्कोप) ने कर्मचारी भविष्य निधि कोष (ईपीएफ) से धन की निकासी और अन्य नियमों में सुधार को कर्मचारियों के अधिकारों के सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा है कि इससे धन निकासी प्रक्रिया भी सरल, त्वरित तथा पारदर्शी होगी।
स्कोप ने कहा है कि ईपीएफओ व्यवस्था में सुधार और 13 जटिल प्रावधानों का तीन सरलीकृत श्रेणियों में वर्गीकरण का श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का कदम सराहनीय है। संगठन ने इस पर टिप्पणी में कहा, "तेरह जटिल प्रावधानों को तीन सरलीकृत श्रेणियों में समाहित करने वाले ये सुधार, तेज, सरल और अधिक पारदर्शी निकासी प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं।"स्कोप का कहना है कि निकासी के लिए न्यूनतम पात्र रोजगार अवधि को सात वर्ष से घटाकर एक वर्ष किया जाना, और सदस्यों को बिना किसी दस्तावेज के किसी भी समय पात्र राशि का 75 प्रतिशत तक निकालने और विशेष परिस्थितियों में पूर्ण निकासी की सुविधा देना ईपीएफ के अंशधारक कर्मियों के सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।
स्कोप का कहना है कि ईपीएफओ में पंजीकृत कर्मचारियों और श्रमिकों के लिए इससे प्रक्रियात्मक सुगमता होगी।
समय से पहले अंतिम निपटान अवधि को दो माह से बढ़ाकर 12 महीने किये जाने के बारे में स्कोप का कहना है कि यह श्रमिकों के दीर्घकालिक वित्तीय कल्याण को बढ़ावा देने वाला एक विवेकपूर्ण निर्णय है। इससे कर्मचारी योजना में बने रहने को प्रोत्साहित होंगे तथा भविष्य के पेंशन लाभों को भी सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।
स्कोप ने कहा है कि ये विस्तृत और नागरिक-केंद्रित सुधार निकासी की आसानी और वित्तीय सूझबूझ के बीच एक अच्छा संतुलन प्रस्तुत करते हैं। स्कोप की राय में इससे समावेशी सामाजिक सुरक्षा और कर्मचारी कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।
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