कोलकाता , अक्टूबर 31 -- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में नगर पालिका और नगर निकायों में कथित भर्ती घोटाले के संबंध में कोलकाता और उसके आसपास के सात स्थानों पर छापेमारी के दौरान तीन करोड़ रुपये नकद, डिजिटल उपकरण और बेनामी निवेश के कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ ज़ब्त किए हैं।

ईडी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि ये छापे 28 और 29 अक्टूबर को नगर पालिका भर्ती घोटाले के मुख्य संदिग्धों के कार्यालयों और आवासों सहित सात स्थानों पर मारे गए। जिनमें रेडिएंट एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड, गरोडिया सिक्योरिटीज लिमिटेड, जीत कंस्ट्रक्शन एंड कंसल्टेंट्स और इसमें शामिल लोगों के आवास और कार्यालय है।

उन्होंने बताया कि तलाशी के दौरान संपत्ति के दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण और लगभग तीन करोड़ रुपये की नकदी सहित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज़ ज़ब्त किए गए हैं। तलाशी में एक ऐसी कार्यप्रणाली का पता चला है जिसके तहत घोटाले के मुख्य संदिग्धों के दागी धन को फर्जी सेवाओं की आड़ में कंपनियों/फर्मों के माध्यम से सफेद किया जा रहा था।

ईडी ने 10 अक्टूबर को राज्य के अग्निशमन मंत्री सुजीत बोस की संपत्तियों सहित 13 स्थानों पर छापेमारी की थी और आपत्तिजनक दस्तावेज़ और 45 लाख रुपये की नकदी भी ज़ब्त की थी।

बयान के अनुसार नगर निकाय घोटाले में धन के लेन-देन की जाँच कर रही ईडी की छापेमारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर की गई है। इससे पहले प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी द्वारा की गई जाँच के दौरान घोटाले के बिचौलिए अयान सिल और अन्य से जुड़े विभिन्न परिसरों पर 2023 में छापेमारी की गई थी।आपत्तिजनक दस्तावेज़ों की जाँच से पता चला कि यह घोटाला केवल शिक्षकों की भर्ती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विभिन्न नगर पालिकाओं (कांचरापाड़ा, न्यू बैरकपुर, कमरहाटी, टीटागढ़, बारानगर, हालिसहर, दक्षिण दमदम (उत्तर), दमदम आदि) द्वारा की गई कई अन्य नियुक्तियां भी शामिल है, जिसमें मज़दूरों, सफाई कर्मचारियों, क्लर्कों, चपरासी, एम्बुलेंस परिचारकों, पंप ऑपरेटरों, सहायकों, स्वच्छता सहायकों, ड्राइवरों और अन्य की भर्ती है।

बयान में कहा गया है कि जाँच से पता चला है कि विभिन्न नगर निगमों और नगर पालिकाओं से संबंधित ठेके एक ही कंपनी एबीएस इन्फोज़ोन प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए थे जिसके निदेशक अयान सिल हैं। इन ठेकों में प्रश्नपत्रों की छपाई, ओएमआर शीट की छपाई, अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों का मूल्यांकन और मेरिट सूची तैयार करना आदि शामिल था। सिल और अन्य उच्च पदाधिकारियों, जिनमें लोक सेवक और राजनीतिक नेता शामिल हैं पर आपराधिक षडयंत्र रचने का आरोप है।

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