नयी दिल्ली , अक्टूबर 18 -- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रांची क्षेत्रीय कार्यालय ने शनिवार को प्रतिबंधित नक्सली संगठन, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के स्वयंभू प्रमुख दिनेश गोप और 19 अन्य के खिलाफ विशेष पीएमएलए अदालत में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया।

यह आरोपपत्र आतंकी फंडिंग और धनशोधन से जुड़ा है, जिसमें पीएलएफआई द्वारा व्यवस्थित जबरन वसूली और लेवी वसूली के माध्यम से अर्जित कुल अपराध की अनुमानित आय लगभग 20 करोड़ रुपये है। ईडी की जाँच में अब तक 3.36 करोड़ रुपये के धनशोधन के संबंध का पता चला है।

ईडी ने झारखंड पुलिस और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दिनेश गोप और उसके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों और आरोपपत्रों के आधार पर अपनी पीएमएलए जाँच शुरू की। इन अपराधों में हत्या, हत्या का प्रयास, जबरन वसूली और गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी गतिविधियाँ जैसी कई संगठित आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं।

जांच से पता चला कि पीएलएफआई के सुप्रीमो के रूप में दिनेश गोप एक आपराधिक गिरोह का संचालन करता था जो झारखंड और आसपास के राज्यों में ठेकेदारों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से हिंसा, आगजनी और धमकी के ज़रिए व्यवस्थित रूप से उगाही करता था। दिनेश गोप द्वारा रची गई एक जटिल, बहुस्तरीय मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधि का भी पता चला। इस कार्यप्रणाली में उगाही गई नकदी को अपनी दोनों पत्नियों, शकुंतला कुमारी और हीरा देवी द्वारा संचालित फर्जी कंपनियों के एक नेटवर्क में डालना शामिल था।

उन्होंने बताया कि धनशोधन की राशि को लग्ज़री वाहनों और सावधि जमाओं सहित उच्च-मूल्य वाली संपत्तियों के अधिग्रहण के माध्यम से वैध अर्थव्यवस्था में एकीकृत किया गया और परिवार के निजी खर्चों के लिए भी इस्तेमाल किया गया।

ईडी ने पहले पीएलएफआई के एक प्रमुख सहयोगी निवेश कुमार के खिलाफ चार करोड़ रुपये से अधिक की धन शोधन के लिए अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसमें दिनेश गोप से हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए प्राप्त दो करोड़ रुपये भी शामिल थे। इसके बाद, दिनेश गोप को ईडी ने 20 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था।

ईडी ने शिकायत में सभी 21 आरोपियों पर धन शोधन के अपराध के लिए मुकदमा चलाने और पीओसी के रूप में पहचानी गई संपत्तियों जिसमें जब्त नकदी, बैंक बैलेंस और वाहन शामिल हैं, को जब्त करने की मांग की है।

मामले में आगे की जांच जारी है।

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