नयी दिल्ली , अक्टूबर 13 -- एक विशेष अदालत ने सोमवार को 68 करोड़ रुपये के फर्जी ऋण गारंटी से जुड़े धन शोधन मामले में रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक कुमार पाल को तीन और दिनों के लिये प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया है।
पाल को गिरफ्तारी के बाद ईडी की दो दिनों की हिरासत में रखा गया है। कोर्ट ने ईडी के वकील की दलील को सुनते हुए उसकी हिरासत और बढ़ा दी। ईडी ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी समूह की कंपनी के सीएफओ पाल का 68 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी जमा करके सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को धोखा देने में बड़ा हाथ है।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पाल को एजेंसी के दिल्ली कार्यालय पूछताछ के लिये बुलाये जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया और फिर लंबी पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
ईडी ने कहा कि रिलायंस पावर लिमिटेड (आरपीएल) के सीएफओ पाल ने पैसों की हेराफेरी में अहम भूमिका निभायी। बोर्ड के एक प्रस्ताव ने उसे और अन्य लोगों को एसईसीआई की बीईएसएस निविदा के लिये सभी दस्तावेजों को अंतिम रूप देने, अनुमोदित करने, हस्ताक्षर करने और निष्पादित करने तथा बोली के लिये आरपीएल की वित्तीय क्षमता का उपयोग करने का अधिकार दिया था।
ईडी ने आरोप लगाया कि उसने धोखा देने की नीयत से एसईसीआई को 68 करोड़ रुपये के लिये फर्जी बैंक गारंटी जमा करने में अहम रोल निभाया। एजेंसी ने दावा किया कि पाल ने एसईसीआई निविदा में इस्तेमाल की गयी फर्जी बैंक गारंटी स्कीम की योजना, पर्यवेक्षण, वित्त पोषण और उसे छिपाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
ईडी ने कहा कि उसने चुने गये बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (बीटीपीएल) को फर्जी बैंक गारंटी उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभायी। बीटीपीएल आवासीय पते से चलायी जा रही छोटी ईकाई है, जिसका कोई विश्वसनीय बीजी ट्रैक रिकार्ड नहीं है। इसने वेंडर की किसी भी उचित जाँच-पड़ताल के बिना एक नकली गारंटी जारी की। बीटीपीएल के निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि पाल ने फर्जी परिवहन रसीदों के जरिये करोड़ों रुपये की हेराफेरी की।
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