कोलकाता , नवंबर 11 -- इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी)इंडिया ने सरकार से अनुरोध किया है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए अमेरिका के साथ चल रही बातचीत में विशेष रूप से एमएसएमई द्वारा निर्मित विभिन्न इस्पात एवं एल्यूमीनियम उत्पादों को शामिल किया जाए।

ईईपीसी इंडिया ने यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत करते समय कोटा और कोटा से बाहर के आयात शुल्क दोनों में यथास्थिति बरकरार रखने का सुझाव दिया।

ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने मंगलवार को निर्यातक समुदाय की चिंताओं पर एफटीए के वार्ता दल के साथ बातचीत करते हुए कहा कि धारा 232 के अंतर्गत 50 प्रतिशत आयात शुल्क लागू होने से अमेरिकी बाजार में इंजीनियरिंग निर्यात बहुत प्रभावित हुआ है जिससे बीटीए वार्ता में निर्दिष्ट उत्पादों को शामिल करना आवश्यक हो गया है।

उन्होंने सुझाव दिया, "अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने से हमारे प्रतिस्पर्धियों के साथ शुल्क का अंतर औसतन 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इससे निश्चित रूप से अमेरिकी बाजार में हमारी स्थिति प्रभावित हो रही है। एक विशेष सहायता पैकेज जो इस अंतर का कम से कम 15 प्रतिशत वहन करे हमें अपनी स्थिति सुदृढ़ करने में मदद करेगा।"श्री चड्ढा ने इस बात का उल्लेख किया कि कोटा कम करने और कोटा से बाहर शुल्क को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का नया यूरोपीय संघ का प्रस्ताव चिंताजनक है।

उन्होंने कहा, "मौजूदा कोटा पहले से ही निर्यातकों के लिए चुनौती बना हुआ है क्योंकि हमारा निर्यात बहुत अधिक है। यूरोपीय संघ ने भी इन उत्पादों को भारत के साथ व्यापार समझौते की वार्ता के दायरे से बाहर रखा है। इस संदर्भ में हमारा सुझाव है कि कोटा और कोटा से बाहर के शुल्कों, दोनों में यथास्थिति बरकरार रखी जाए। इसके अलावा इसे एफटीए के अंतर्गत बातचीत के दायरे में लाना चाहिए और एफटीए के लागू होने के बाद शुल्कों को धीरे-धीरे समाप्त करना चाहिए।"यूरोपीय संघ टैरिफ दर कोटा (टीआरक्यू) संबंधित उद्योग जगत की गंभीर चिंताओं के मद्देनजर श्री चड्डा ने एमएसएमई प्रभुत्व एवं रणनीतिक महत्व को देखते हुए स्टेनलेस स्टील के लंबे उत्पादों (श्रेणी 14, 15 और 22) को टीआरक्यू से छूट देने की मांग की। उन्होंने अन्य उत्पाद श्रेणियों के लिए कोटा मात्रा बढ़ाने का सुझाव दिया है।

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