शर्म अल-शेख , अक्टूबर 08 -- इस्लामिक जिहाद आतंकवादी संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल मिस्र के शर्म अल-शेख पहुँचा जहाँ वह गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई के उद्देश्य से चल रही वार्ता में भाग लेगा।
इस संगठन में पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (पीएफएलपी) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इनकी भागीदारी इस वार्ता के विस्तार का प्रतीक है, जिसमें शुरुआत में इज़रायल, हमास और मिस्र, कतर और अमेरिका के मध्यस्थों के प्रतिनिधिमंडल शामिल थे।
अल-हदाथ के अनुसार कतर ने सोमवार को घोषणा की कि उसके प्रधानमंत्री इस वार्ता में भाग लेंगे जबकि तुर्की के खुफिया प्रमुख के भी इसमें भाग लेने की खबर है।
इस्लामिक जिहाद के नेता ने सात अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा किए गए नरसंहार की दूसरी बरसी के अवसर पर दिए गए एक भाषण में कहा कि "आने वाले दिनों में कैदियों की रिहाई से संबंधित समझौते के प्रावधानों पर सहमति बनना संभव है," और दोषी आतंकवादियों सहित फ़िलिस्तीनी बंदियों के बदले इज़रायली बंधकों की संभावित अदला-बदली का हवाला दिया।
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के कदम से "इज़रायल के आक्रामक होने के बहाने खत्म हो जाएँगे।" वार्ता के दूसरे दिन उन फ़िलिस्तीनी कैदियों की सूची पर ध्यान केंद्रित किया गया जिनकी रिहाई की मांग हमास कर रहा है, साथ ही अमेरिका द्वारा मध्यस्थता वाले शांति ढाँचे के तहत गाजा पट्टी से इज़राइल की चरणबद्ध वापसी के लिए एक तंत्र पर भी चर्चा हुई।
मिस्र के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने जर्मन प्रेस एजेंसी को बताया कि "स्थिति पहले दिन की तुलना में अपरिवर्तित बनी हुई है।"अधिकारी के अनुसार हमास इस बात की पूरी गारंटी पर ज़ोर दे रहा है कि आदान-प्रदान शुरू होने के बाद इज़रायल सैन्य अभियान फिर से शुरू नहीं करेगा, जबकि इज़रायल ने सुरक्षा गारंटी जारी करने या चरणबद्ध आदान-प्रदान की संभावनाओं को अस्वीकार कर दिया है। उसका कहना है कि वह हमास की मांगों को तभी मानेगा जब वह सभी बंधकों को पूरी तरह से रिहा कर देगा।
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