श्रीहरिकोटा , दिसंबर 24 -- इसरो अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने बुधवार को कहा कि श्रीहरिकोटा से रॉकेट लॉन्चर एलएमवी3 ने अमेरिका के सबसे भारी उपग्रह ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 को सटीक रूप से निर्धारित कक्षा में स्थापित किया, जिससे गगनयान सहित भविष्य के प्रक्षेपणों के लिए आत्मविश्वास बढ़ा है।
एलवीएम3एम6 द्वारा सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के बाद मिशन कंट्रोल सेंटर से वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए डॉ नारायणन ने कहा कि इसरो तमिलनाडु के दक्षिणी थूथुकुडी जिले में निर्माणाधीन दूसरे अंतरिक्ष बंदरगाह कुलसेकरपट्टिनम से फरवरी-मार्च 2027 में अपना पहला रॉकेट प्रक्षेपण करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी एलवीएम3 रॉकेट ने अपने लगातार नौवें सफल अभियान के साथ एक बार फिर अपने त्रुटिहीन रिकॉर्ड एवं विश्वसनीयता को साबित किया है।
उन्होंने कहा कि रॉकेट ने जिस सटीकता के साथ उपग्रह को प्रक्षेपित किया वह इसरो द्वारा अब तक प्राप्त की गई सबसे बेहतरीन था। उन्होंने आगे कहा कि आज एलवीएम3 की नौवीं सफल उड़ान थी और इसकी 100 प्रतिशत विश्वसनीयता गगनयान मिशन सहित भविष्य के प्रयासों के लिए आत्मविश्वास बढ़ाती है जिसकी योजना 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में बनाई गई है।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा को याद करते हुए डॉ नारायणन ने कहा कि कि 1960 के शुरूआती दशक में उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए अमेरिका के रॉकेट पर निर्भर रहना पड़ता था, भारत ने अपने अंतरिक्ष प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए सबसे भारी उपग्रह प्रक्षेपित किया है।
उन्होंने कहा कि अब तक, इसरो ने 34 देशों के 434 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है, जिनमें एक ही मिशन में कई उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है, और आज यहां शार रेंज से किया गया 104वां प्रक्षेपण वैश्विक वाणिज्यिक अंतरिक्ष बाजार में इसकी स्थिति को और मजबूत करता है, साथ ही एक विश्वसनीय प्रक्षेपण सेवा प्रदाता के रूप में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता है।
डॉ. नारायणन ने कहा कि तटीय जिले थूथुकुडी के कुलसेकरपट्टिनम में दूसरे स्पेसपोर्ट पर काम प्रगति पर है और इसरो फरवरी-मार्च 2027 में पहले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) मिशन पूरा करने की योजना बना रहा है। कुलासकेरापट्टिनम अंतरिक्ष बंदरगाह मुख्य रूप से एसएसएलवी रॉकेटों के प्रक्षेपण की सुविधा प्रदान करेगा, जबकि श्रीहरिकोटा अन्य सभी मिशनों के लिए प्राथमिक प्रक्षेपण केंद्र बना रहेगा, जिसमें पीएसएलवी, जीएसएलवी और एलएमवी रॉकेटों का उपयोग शामिल है।
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