चंडीगढ़ , अक्टूबर 28 -- पंजाब के कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने मंगलवार को बताया कि पंजाब सरकार ने उद्योगपतियों को पेश आ रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नोटिफाइड दरों में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
श्री अरोड़ा ने कहा कि अब कुल ऋण राशि पर, जिसमें इक्विटेबल मॉर्गेज और गिरवी दोनों शामिल होंगे, केवल 0.25 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी ही ली जायेगी, जिसकी अधिकतम सीमा केवल पांच लाख रुपये होगी। साथ ही इक्विटेबल मॉर्गेज पर रजिस्ट्रेशन शुल्क एक लाख रुपये से घटाकर मात्र एक हजार रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट के इस निर्णय के अनुसार भारतीय स्टांप अधिनियम (पंजाब संशोधन) में संशोधन लाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया जायेगा।
श्री अरोड़ा ने कहा कि पंजाब सरकार ने जनवरी 2025 में सभी इक्विटेबल मॉर्गेज (जहां जमीन को कोलेटरल के रूप में दिया जाता है) और अचल संपत्ति के गिरवीनामों यानी बैंक ऋणों के विरुद्ध कोलेटरल के रूप में रखे गये स्टॉक पर ऋण राशि का 0.25 प्रतिशत स्टांप शुल्क और इक्विटेबल मॉर्गेज की रजिस्ट्री पर एक लाख रुपये तक की सीमा के साथ अतिरिक्त 0.25 प्रतिशत स्टांप शुल्क लागू किया था।
मीडिया को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री अरोड़ा ने बताया कि पंजाब सरकार का राजस्व प्रदर्शन अच्छा रहा है। हालांकि, सीआईआई, पीएचडीसीसीआई, एपीएक्स चैंबर, सीआईसीयू, एफआईसीओ और एसएलबीसी जैसी कई औद्योगिक संस्थाओं ने इस व्यवस्था में दोहरे कर जैसे मुद्दों को उजागर किया था, क्योंकि अधिकांश औद्योगिक ऋणों में इक्विटेबल मॉर्गेज के साथ-साथ अचल संपत्ति का गिरवीनामा भी शामिल होता था। अब तक किसी भी ऋणग्राही को इक्विटेबल मॉर्गेज पर 0.25 प्रतिशत शुल्क, गिरवी रखने पर 0.25 प्रतिशत शुल्क, और रजिस्ट्री (सीमित) पर 0.25 प्रतिशत शुल्क देना पड़ता था, जो कुल मिलाकर लगभग 0.65 प्रतिशत की दर से होता था।
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