नयी दिल्ली, सितंबर 27 -- इंडिया ग्रीन्स पार्टी (आईजीपी) ने लद्दाख में पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांग्चुक की गिरफ्तारी और उनके एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए जाने की कड़ी निंदा की है और इसे नागरिक समाज में असहमति का दमन बताया है।
पर्यावरण क्षेत्र के क्षेत्र में कार्यरत इस संगठन ने शनिवार को एक बयान में कहा कि ऐसी कार्रवाइयाँ नागरिकों के विरोध करने और अपनी जायज़ माँगों को सामने रखने के लोकतांत्रिक अधिकार के जवाब में धमकाने वाली रणनीति और हमला मात्र हैं जिन्हें मोदी सरकार पिछले छह वर्षों से जारी रखे हुए है।
संगठन ने वांग्चुक को हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण और लद्दाखी आदिवासी समुदायों के वैध अधिकारों का उत्साही प्रचारक बताया और कहा है कि उनकी गिरफ्तारकी की कार्रवाई नागरिक समाज और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की भूमिका को कमज़ोर करने के समान है।
कुछ समय से लेह में उपवास पर बैठे वांग्चुक को केंद्र शासित लद्दाख की पुलिस ने शुक्रवार को राष्टीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जोधपुर (राजस्थान) में केंद्रीय कारावार में रखा गया है।
इससे पहले लेह में बुधवार को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और पचास से अधिक लोग घायल हो गए थे। आरोप है कि प्रदर्शकारियों को श्री वांग्चुक ने तोड़फोड़ और आगजनी के लिए भड़काया था। गृहमंत्रालय उनके गैर सरकारी संगठन- स्टुडेंट्स एजूकेशन एण्ड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख का विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम के तहत पंजीकरण गुरुवार को रद्द कर दिया है।
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