भुवनेश्वर, सितंबर 25 -- भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (इंटैक) ने ओडिशा सरकार से भद्रक जिले में ऐतिहासिक 'गोहिरातिकिरी युद्धक्षेत्र' के संरक्षण और जीर्णोद्धार का आग्रह किया है। यह युद्धक्षेत्र अपने विशाल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद उपेक्षित पड़ा हुआ है।

यह स्थल गेंगुटी नदी के पश्चिमी तट पर धामनगर पंचायत में स्थित है। इसी स्थान पर ओडिशा के अंतिम स्वतंत्र राजा गजपति मुकुंद देव 1568 में बंगाल के मुस्लिम शासकों के खिलाफ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुये थे।

इतिहासकारों के अनुसार मुकुंद देव ने गोहिरातिकिरी के पास के घने जंगल में अपना सैन्य शिविर स्थापित किया था। उन्होंने अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए किलेबंदी, वॉचटावर, बैरक और तालाबों का निर्माण किया था। इनमें से कई तालाब जैसे नौरी गादिया, गोबिंद गादिया, रानी गादिया और बेला गादिया अभी भी मौजूद हैं।

उल्लेखनीय है कि उदरा वंश के क्षत्रिय राजा मुकुंद देव के वंश से होने का दावा करते हैं और आज भी इस युद्ध क्षेत्र के आसपास निवास करते हैं। कई धरोहर संरचनाएँ अब खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। सेनापति पोखरी नामक एक विशाल तालाब अब वीरान पड़ा है, इसी प्रकार आलमचंद पोखरी नामक एक और तालाब आंशिक रूप से मिट्टी में दब चुका है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित