धमतरी, सितंबर 27 -- शारदीय नवरात्र में देवी मंदिरों में भक्तों द्वारा मनोकामना ज्योत जलाने की परंपरा है। आस्था है कि सिद्ध मंदिरों में जलाई गई ज्योत से शक्ति माता मनोकामना पूरी करती हैं। इसी परंपरा के बीच धमतरी में इस बार आस्था का एक अनोखा और अलग स्वरूप सामने आया है।
धमतरी की डॉक्टर अपूर्वा पवार शिंदे और उनके पति, जो जिला अस्पताल में पदस्थ हैं, ने अपने पालतू पक्षी और कुत्ते के नाम से मनोकामना ज्योत जलवाई। उनके घर में अलग-अलग प्रजाति के दो तोते हैं, जिनका नाम 'राम' और 'नॉटी' रखा गया है, वहीं एक लेब्राडोर कुत्ता 'वाघ्या' भी है। डॉक्टर दंपत्ति ने इन तीनों के नाम से बमलई माता मंदिर में आस्था स्वरूप ज्योत जलवाई। उनका कहना है कि ये पालतू उनके लिए बच्चों की तरह हैं। खास बात यह है कि नवरात्र के नौ दिनों में वे अपने कुत्ते को मांसाहारी भोजन नहीं देते, बल्कि दूध और रोटी का सात्विक आहार ही करवाते हैं।
इसी तरह धमतरी के एक युवा वैभव जगने ने भी अपनी आस्था को अलग ढंग से अभिव्यक्त किया। उन्होंने जगतरा स्थित दुर्गा मंदिर में यह कामना करते हुए ज्योत जलाई कि जंगलों में हाथियों की संख्या बढ़े और उनका संरक्षण हो। जबकि धमतरी क्षेत्र में हाथियों का आतंक व्यापक है और बीते दो वर्षों में हाथी हमलों में 11 लोगों की जान जा चुकी है। फसलों को भी लगातार नुकसान पहुंच रहा है। इसके बावजूद वैभव जैसे युवा हाथी और अन्य वन्य जीवों के प्रति गहरी संवेदना और लगाव रखते हैं।
धमतरी में इस प्रकार नवरात्र की आस्था ने एक अलग ही संदेश दिया है,जहां मनोकामना केवल अपने या अपने परिजनों के लिए ही नहीं, बल्कि पालतू जीवों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा व संवर्धन के लिए भी व्यक्त की जा रही है।
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