नयी दिल्ली , अक्टूबर 28 -- भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) ने पुनर्वास शिक्षा और व्यावसायिक प्रशासन में पुनर्वास के अनुकूल परिवेश में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता लाने के लिए डिज़ाइन किये गये व्यापक सुधारों की घोषणा की है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार यह पहल केन्द्र सरकार के जन विश्वास, विश्वास-आधारित शासन और व्यवसाय करने में आसानी के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे नवाचार और डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से विद्यार्थियों, पेशेवरों और संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए आरसीआई की प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।
आरसीआई ने पहली बार केंद्रीय पुनर्वास पंजीकरण (सीआरआर) जारी करने, नवीनीकरण और योग्यता में वृद्धि के लिए फीस पूरी तरह से समाप्त कर दी है, जिससे विद्यार्थियों और पेशेवरों के लिए यह संपूर्ण प्रक्रिया निःशुल्क हो गयी है। सीआरआर पंजीकरण की वैधता पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष कर दी गयी है और 100 या अधिक सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) अंक अर्जित करने वाले उम्मीदवारों के लिए स्वचालित नवीनीकरण प्रणाली शुरू की गयी है। पेशेवर अब नये लॉन्च किये गये डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से बिना किसी शुल्क के प्रविष्टियों में ऑनलाइन सुधार कर सकते हैं, जबकि संस्थानों को अब सीआरई से जुड़े कार्यक्रमों के लिए प्रोसेसिंग फीस भी नहीं देनी होगी। इसके साथ ही उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) को राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सीआरई कार्यक्रम संचालित करने के लिए पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गयी है।
आरसीआई ने विनियमन हटाने और गुणवत्ता संवर्धन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बेहतर प्रदर्शन करने वाले 144 संस्थानों और विश्वविद्यालयों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया है। पहली बार संस्थानों को अपनी तरह की यह विशिष्ट मान्यता दी गयी है, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक मानकों का उन्नयन और पुनर्वास शिक्षा में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। इन उत्कृष्टता केंद्रों में राष्ट्रीय संस्थान, समग्र क्षेत्रीय केंद्र, केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय और आरसीआई के उत्कृष्टता मानकों को पूरा करने वाले अन्य अग्रणी संगठन शामिल हैं। उत्कृष्टता केंद्रों को सात वर्षों की विस्तारित स्वीकृति अवधि, मौजूदा अनुमोदनों के लिए स्वतः विस्तार, और विशेषज्ञ मान्यता पैनल तथा परीक्षा संबंधी भूमिकाओं में विशेष भागीदारी का लाभ मिलेगा, जिससे वे शैक्षणिक मापदण्डों पर खरे उतरेंगे और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।
आरसीआई ने नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए अनुमोदन शुल्क में उल्लेखनीय रूप से कमी की है और सामान्य अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्रणाली शुरू की है, जिससे अनावश्यक प्रक्रियायें समाप्त हो गयी हैं। एक प्रगतिशील सुधार सूचना तंत्र संस्थानों को पुनः निरीक्षण से पहले छोटी-मोटी खामियों को दूर करने में सक्षम बनायेगा, जबकि वीडियो-आधारित निरीक्षणों की शुरुआत से यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और कुशल हो जायेगी।
परीक्षा संबंधी सुधारों से एक अधिक निष्पक्ष और छात्र-हितैषी प्रणाली के संबंध में विश्वास की भावना पैदा होगी। प्रश्न पत्र तैयार करने वाले लोगों, मॉडरेटर और परीक्षकों का चयन विशेष रूप से उत्कृष्टता केंद्रों से होगा, जिससे उच्च शैक्षणिक मानक सुनिश्चित होंगे। पूरक परीक्षायें परिणाम घोषित होने के 75 दिनों के भीतर आयोजित की जायेंगी, जिससे छात्रों का एक शैक्षणिक वर्ष बच सकेगा और उत्तीर्ण होने के लिए आवश्यक अंकों से मामूली अंतर से चूकने वालों को समान रूप से अनुग्रह अंक दिये जायेंगे। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार के निरीक्षण पारदर्शिता और परीक्षा मानदंडों का पालन सुनिश्चित करेंगे।
इसके अतिरिक्त, आरसीआई की ओर से स्थानीय स्तर पर विद्वत्ता और सभी की पहुंच को बढ़ावा देने के प्रयास के अंतर्गत अपने पाठ्यक्रम में भारतीय लेखकों की पुस्तकों और क्षेत्रीय भाषा संसाधनों को शामिल करने की व्यवस्था को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जायेगा। भारतीय लेखकों और प्रकाशकों की ओर से अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए परिषद की वेबसाइट पर समर्पित लिंक उपलब्ध कराया गया है। परिषद देश की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के अनुरूप भारतीय नैदानिक उपकरणों के उपयोग को भी बढ़ावा देगी।
भारतीय पुनर्वास परिषद ने व्यापक स्तर पर इन उपायों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में विश्वास-आधारित, प्रौद्योगिकी-संचालित शासन के लिए नया मानदंड स्थापित किया है। ये सुधार विश्वस्तरीय, समावेशी और आत्मनिर्भर पुनर्वास शिक्षा प्रणाली के निर्माण की दिशा में दूरदर्शी कदम को दर्शाते हैं। ये भारत के पेशेवरों को अधिक सक्षमता, सहानुभूति और आत्मविश्वास के साथ दिव्यांगजनों की सेवा करने के लिए सशक्त बनाते हैं।
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