लखनऊ , अक्टूबर 1 -- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने पर आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस में 'राष्ट्रीय' शब्द लगा होने के बावजूद, यह संगठन देश की 85 प्रतिशत आबादी (दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों) का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं करता है।

बुधवार को सांसद संजय सिंह ने पूछा कि 100 सालों के इतिहास में एक भी दलित, पिछड़ा या आदिवासी आरएसएस का प्रमुख क्यों नहीं बना। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आज तक एक भी महिला को भी संघ का प्रमुख क्यों नहीं बनाया गया। उन्होंने आरएसएस पर मनुवादी व्यवस्था और जातीय भेदभाव तथा छुआछूत की व्यवस्था में विश्वास रखने का आरोप लगाया और कहा कि यह संगठन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और उनके संविधान के खिलाफ है। उन्होंने जनता से ऐसे संगठनों से सावधान रहने की अपील की।

संजय सिंह ने आरएसएस के आजादी के आंदोलन में योगदान पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस सच्चाई को देश की जनता को जानना बहुत जरूरी है। उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि जब देश अंग्रेजों का गुलाम था, तब आरएसएस ने अंग्रेजों का साथ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आरएसएस के लोग हिंदुस्तानियों को अंग्रेजों की सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

उन्होने शोध का हवाला देते हुए कहा कि आरएसएस ही वह संगठन था, जिसने आजादी के आंदोलन के दौरान क्रांतिकारियों की मुखबिरी की और 'भारत छोड़ो आंदोलन' का विरोध तक किया। उन्होंने कहा कि यह वही लोग थे जिन्होंने भारत की आन-बान-शान तिरंगे झंडे का विरोध किया था। उन्होंने इस सच को इतिहास का ऐसा काला अध्याय बताया जिसका आरएसएस कभी विरोध नहीं कर सकती है।

आप सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर टिकट जारी करने और पाठ्यक्रमों में आरएसएस का इतिहास पढ़ाए जाने की खबरों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस दौरान आरएसएस की तारीफ और कसीदे तो पढ़े जाएंगे, लेकिन लोगों को यह नहीं बताया जाएगा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जिसने आजादी के आंदोलन में देश से गद्दारी की थी।

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