बेंगलुरु , अक्टूबर 17 -- कर्नाटक के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खरगे ने शुक्रवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने इसे 'ऐतिहासिक रूप से ख़तरनाक सोच' का सिलसिला बताया, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर जैसी राष्ट्रीय हस्तियों को निशाना बनाने के लिए ज़िम्मेदार है।
श्री खरगे ने यहां संवाददाताओं से कहा, " इस सोच ने महात्मा गांधी को मारा, झूठ के सहारे बाबासाहेब अंबेडकर को हराया। और यही सोच समाज के लिए सबसे ज़हरीली है। उन्होंने जब महात्मा गांधी को नहीं बख्शा, उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर को नहीं बख्शा, तो मैं कौन हूं? मैं उन दिग्गजों के सामने कुछ भी नहीं हूं।"विद्वान एम एम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश से जुड़ी पिछली घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके अनुभव समकालीन राजनीति में जारी धमकियों और ज़बरदस्ती के पैटर्न का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा, " यह एम.एम. कलबुर्गी जी के साथ हुआ, यह गौरी लंकेश जी के साथ हुआ। हम किसी दबाव में नहीं आयेंगे। मैं इन ताकतों से नहीं डरने वाला। कलबुर्गी के लोग मेरे साथ हैं, कर्नाटक के लोग मेरे साथ हैं। और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत का संविधान मेरे साथ है। "श्री खरगे ने कर्नाटक कैबिनेट के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें सार्वजनिक समारोहों, कार्यक्रमों और स्कूल, कॉलेज, मैदान और सार्वजनिक सड़कों सहित सरकारी स्थानों के उपयोग से संबंधित सभी मौजूदा नियमों और अधिनियमों को एकीकृत किया गया है।
उन्होंने बताया कि नये ढांचे के तहत, किसी भी कार्यक्रम, उत्सव, मार्च या इसी तरह की गतिविधि के लिए अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी होगी और उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह कदम मुख्यमंत्री को लिखे उनके पत्र के बाद उठाया गया है और इसका उद्देश्य उचित शासन सुनिश्चित करना है।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने भाजपा नेताओं की भी आलोचना की कि वे उनके द्वारा उठाये गये महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने के बजाय उन पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं। उन्होंने चुनौती दी कि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन कहे जाने वाले और श्री मोहन भागवत के नेतृत्व वाला आरएसएस इन मुद्दों पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं देता।
श्री खरगे ने सत्तारूढ़ दल और उसके वैचारिक सहयोगी, दोनों से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, " भाजपा उनके लिए क्यों बोल रही है? आरएसएस को इतना डर किस बात का है? मुझे एक भी रजिस्टर या दस्तावेज़ दिखा दो कि वे एक पंजीकृत संगठन हैं। मैं बस यही मांग कर रहा हूं।"सरकारी खर्च को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के आरोपों का जवाब देते हुए, श्री खरगे ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की पहलों का लाभ सात लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुंचता है और इनके ख़िलाफ़ कोई सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है। उन्होंने कर्नाटक सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवा नियमों को सख्ती से लागू करने की भी मांग की, और कहा कि अतीत में इन नियमों का अक्षरशः पालन नहीं किया गया है।
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