देहरादून , अक्टूबर 13, -- पिछले कुछ समय से लगातार प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे उत्तराखंड में आम जनता के मानसिक स्वास्थ्य और मनोस्थिति पर भी गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को ऐसे लोगों को सही मार्गदर्शन (काउंसलिंग) और उचित चिकित्सा उपलब्ध कराने का फैसला लिया है।
इसके लिए राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस), बेंगलुरु के सहयोग से राज्यभर के स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण शुरू किया है ताकि वे आपदा के दौरान और उसके बाद प्रभावित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य एवं मनो सामाजिक सहायता सेवाएँ प्रदान कर सकें। सोमवार को इस प्रशिक्षण की शुरुआत स्वास्थ्य विभाग के देहरादून में चंदर नगर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में की गई।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि यह प्रशिक्षण तीन चरणों में होगा। जिसमें प्रथम चरण जनपद देहरादून, द्वितीय जनपद पौड़ी गढ़वाल और तृतीय जनपद नैनीताल में होगा। उन्होंने बताया कि अगले दो महीनों में प्रदेशभर से लगभग 100 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इनमें मनोचिकित्सक, चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ये प्रशिक्षित कर्मी जिला और ब्लॉक स्तर पर जाकर आपदा प्रभावित परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करेंगे।
डा कुमार ने बताया कि यह पहल न केवल आपदा प्रभावित समुदायों के मनोबल को पुनर्स्थापित करेगी, बल्कि यह राज्य को मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। अब राज्य में आपदा राहत का अर्थ केवल भौतिक पुनर्वास नहीं रहेगा बल्कि 'मन की शांति और मानसिक सुरक्षा' भी इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होगी।
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