भोपाल, नवंबर 20 (वार्ता) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आदिवासी नेता लालता प्रसाद कोल के परिवार पर लगाए गए आरोपों को वन विभाग और भाजपा द्वारा रची गई साजिश बताया है। माकपा का कहना है कि आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में सक्रिय नेता को फंसाकर भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है।

माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी कर बताया कि रीवा जिले के अतरेला वन क्षेत्र में मध्यप्रदेश आदिवासी एकता महासभा के प्रांतीय महासचिव लालता प्रसाद कोल के परिवार को केवल 300 ग्राम जंगली सूअर के मांस के आधार पर झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में वन विभाग के साथ गांव के भाजपा समर्थित सरपंच सुरेंद्र सिंह की भी भूमिका है। जसविंदर सिंह ने सवाल उठाया कि दो क्विंटल सूअर का बाकी मांस, हड्डी और खाल कहां गायब हो गई, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में जजों की भर्ती में भी भाजपा सरकार का आदिवासी विरोधी रवैया सामने आया है, जहाँ आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 121 पदों में से एक भी पद नहीं भरा गया। यह बताता है कि सरकार किस तरह से आदिवासी समाज के अधिकारों की उपेक्षा कर रही है।

माकपा नेता ने कहा कि यदि भाजपा सरकार यह सोचती है कि दमन के बल पर वह प्रतिरोध और इंसाफ की आवाजों को दबा देगी, तो यह उसकी गलतफहमी है। पार्टी ने लालता प्रसाद कोल के परिवार पर लगाए गए सभी कथित झूठे मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग की है।

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