नयी दिल्ली , नवंबर 21 -- कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आदिवासियों के साथ व्यवस्थित तरीके से न्याय नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि आदिवासी युवाओं के नौकरी के अवसर खत्म कर उन्हें सोच समझकर अयोग्य घोषित करार दिया जा रहा है।
आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार जानबूझकर आदिवासी युवाओं के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा 2022 के ताजा परिणाम का हवाला दिया और कहा कि इस परीक्षा में किसी भी आदिवासी बच्चे को सफल घोषित नहीं किया गया है। इस परीक्षा के परिणाम वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने मप्र सिविल जज परीक्षा 2022 की जांच करने की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों के हक मार रही है और जानबूझकर उनकी युवा पीढ़ी को नकारा नकारा घोषित कर उनके लिए सरकारी नौकरी के अवसर खत्म किए जा रहे हैं।
डॉ भूरिया ने कहा कि सिविल जज परीक्षा में आदिवासियों के लिए 121 सीट आरक्षित थीं लेकिन किसी भी आदिवासी युवक को इसके योग्य नहीं समझा गया। कोई आदिवासी युवक सिविल जज की नौकरी आरक्षण होने के बावजूद नहीं पा सका। उनका कहना था कि मध्य प्रदेश में करीब दो करोड़ आदिवासी हैं, लेकिन सिविल जज परीक्षा का परिणाम दिखाता है कि भाजपा और उसके सिस्टम को इस परीक्षा में एक भी काबिल आदिवासी युवा नहीं मिला। साल 2021 से अब तक एक भी आदिवासी का चयन नहीं हुआ है। नियम यह है कि कई साल तक खाली सीटों को सामान्य श्रेणी में ले लिया जाता है।
उन्होंने इसे आरक्षण को ख़त्म करने का एक व्यवस्थित तरीका करार दिया और कहा कि इस तरह आदिवासी युवकों के लिए सरकारी नौकरी के अवसर पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे।
मतदाता सूची सघन पुनरीक्षण एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने को उन्होंने जल्दबाजी बताया और कहा कि इससे आदिवासियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उनका कहना था कि ज्यादातर राज्यों में आदिवासी पलायन कर रहे हैं। हालात ये हैं कि 70 फीसद से ज्यादा गांव खाली हो गए हैं क्योंकि सरकार आदिवासियों को रोजगार नहीं दे पा रही है। एसआईआर की प्रक्रिया जानबूझकर ऐसे समय में की गई, जब आदिवासी घरों में नहीं हैं। ये आदिवासियों को व्यवस्थित तरीके से मतदान के अधिकार से बाहर करने की साजिश है।
कांग्रेस नेता ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली को छावनी में तब्दील करने का सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घरानों के फायदे के लिए वहां लगातार पेड़ों को काटा जा रहा है। हजारों आदिवासियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं और लोगों को जिला बदर किया जा रहा है। यह पेसा कानून और वन अधिकार एक्ट का खुला उल्लंघन है। इस तरह से भाजपा सरकार ने देश देश के आदिवासियों के लिए भारी संकट खड़ा कर दिया है। भाजपा के राज में आदिवासियों को तबाह किया जा रहा है। आदिवासी अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और लगातार उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं।
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