पटना , अक्टूबर 24 -- बिहार विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण के तहत मधेपुरा जिले में 06 नवंबर को होने वाले चुनाव में बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के कद्दावर नेता नरेन्द्र नारायण यादव, जहां सियासी पिच पर आठवीं बार जीत का सेहरा बांधने की उम्मीद में हैं, वहीं दो पूर्व मंत्री रमेश ऋषिदेव तथा चंद्रशेखर यादव चुनावी चौका जमाने की कोशिश में हैं।
मधेपुरा में चार विधानसभा क्षेत्र आलमनगर, मधेपुरा, सिंघेश्वर (सुरक्षित) और बिहारीगंज हैं। आलमनगर और बिहारीगंज पर जदयू जबकि मधेपुरा और सिंघेश्वर (सुरक्षित)पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कब्ज़ा है।
आलमनगर सीट पर सात बार जीत का परचम लहरा चुके जदयू विधायक नरेंद्र नारायण यादव यहां आठवीं बार जीत का सेहरा अपने नाम बांधने की कोशिश में हैं, वहीं उनका विजयी रथ रोकने के लिये महागठबंधन के घटक विकासशील इंसान पार्टी ने नवीन कुमार को चुनावी अखाड़े में उतारा है। जदयू के श्री यादव आलमनगर सीट से 1995 से ही लगातार विधायक हैं। वर्ष 1995 में पहली बार वह जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुये। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000, फरवरी एवं अक्टूबर 2005, 2010 , 2015, 2020 के विधानसभा चुनाव में वह लगातार जदयू के टिकट पर जीतते रहे। वर्ष 2020 में जदयू के श्री यादव ने राजद के नवीन कुमार परास्त किया था। इस बार भी जदयू के श्री यादव और वीआईपी के नवीन कुमार के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। आलमनगर सीट से 10 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं।
बिहार के कोसी इलाके की हाईप्रोफाइल मधेपुरा विधानसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से राजद के विधायक और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर इस सीट पर जीत का चुनावी चौका जड़ने की कोशिश में हैं, वहीं जदयू के टिकट पर कविता कुमारी साहा चुनावी रणभूमि में उतरी हैं।कविता साहा नगर परिषद की अध्यक्ष हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार शशि यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
मधेपुरा के बारे में एक कहावत है 'रोम पोप का, मधेपुरा गोप का।' मधेपुरा जिले में जातीय समीकरण और जातीय वोट का असर रहता है। मधेपुरा कभी समाजवाद का गढ़ कहा जाता था। समाजवादी धारा से जुड़े लालू प्रसाद यादव ने इस इलाके पर अपना वर्चस्व बनाया। इस सीट पर लालू प्रसाद यादव का कितना असर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार में लहर चल रही थी उस वक्त भी मधेपुरा सीट पर राजद प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव ने जीत दर्ज की। हालांकि इसके बाद वर्ष 2015 में राजद प्रमुख लालू यादव और नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल होकर साथ चुनाव लड़ा और चंद्रशेखर फिर जीते। मधेपुरा सीट से वर्ष 1962 और 1972 में पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने जीत हासिल की थी।
वर्ष 2020 में मधेपुरा विधानसभा सीट का चुनाव महज एक सीट भर की बात नहीं थी, इसके प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (प्रलोग) के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार और जन अधिाकार पार्टी (जाप) प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देखा जा रहा था। इस चुनाव में राजद के तत्कालीन विधायक चंद्रशेखर यादव ने जदयू उम्मीदवार और मंडल आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के पौत्र निखिल मंडल को मात दी थी। जाप उम्मीदवार पप्पू यादव (अब पूर्णिया सांसद) को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। इस बार के चुनाव में इस सीट पर 12 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं।
सिंहेश्वर (सुरक्षित) सीट से पूर्व मंत्री और जदयू प्रत्याशी रमेश ऋषिदेव सियासी रणभूमि में जीत का चौका लगाने की कोशिश में हैं। वहीं राजद ने यहां विधायक चंद्रहास चौपाल को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद के चंद्रहास चौपाल ने जदयू के श्री ऋषिदेव को सियासी रणभूमि में मात देकर उनके चौका लगाने के सपने को चूर कर दिया था। इस बार भी राजद और जदयू के नेताओं के बीच चुनावी अखाड़े में भिड़त देखने को मिलेगी। रमेश ऋषिदेव ने वर्ष 2010 और 2015 में इस सीट पर जीत हासिल की थी। इससे पूर्व वह कुमारखंड विधानसभा सीट पर वर्ष 2005 अक्टूबर के चुनाव में विधायक बने थे।
वर्ष 1990 में सिंहेश्वर सीट पर हुये चुनाव में पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक बने थे। पहले यह सीट सामान्य सीट थी। परिसीमन के बाद वर्ष 2010 से इसे अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित किया गया। इस बार के चुनाव में इस सीट से आठ प्रत्यशी चुनाव लड़ रहे हैं।
बिहारीगंज विधानसभा सीट से जदयू के विधायक निरंजन कुमार मेहता जीत की हैट्रिक जमाने की कोशिश में हैं,वहीं राजद ने यहां पूर्व मंत्री रेणू कुशवाहा पर दांव लगाया है। वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू के श्री मेहता ने पूर्व सासंद दिवंगत शरद यादव की पुत्री और महागठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मदवार सुभाषिनी बुंदेला को पराजित किया था। पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा के पति लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता विजय कुमार कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट का गठन वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद हुआ था और अब तक यहां तीन बार चुनाव हो चुके हैं। यादव और मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में अब तक जदयू का दबदबा रहा है। वर्ष 2010 में जदयू की रेणु कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2015 और 2020 में जदयू के निरंजन कुमार मेहता विधायक बने।इस सीट से सात प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं।
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