जयपुर , नवंबर 10 -- सेना की दक्षिण-पश्चिम कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह ने सोमवार को कहा कि आज के युद्ध केवल सैन्य मोर्चों तक सीमित नहीं रह गए हैं और साइबर, स्पेस, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे मल्टी-डोमेन युद्ध के लिए राष्ट्रीय शक्ति के सभी तत्व डिप्लोमेटिक, इन्फॉर्मेशनल , मिलिट्री और इकनोमिक (डीआईएमई) का तकनीक आधारित निर्बाध समन्वय अत्यंत आवश्यक है।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह आज जयपुर मिलिट्री स्टेशन में सप्त शक्ति कमान के तत्वावधान में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज नयी दिल्ली के सहयोग से शुरू हुए बहुप्रतीक्षित "सिक्योरिटी सिनर्जी सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक वातावरण अत्यधिक अस्थिर है, जहां अनिश्चितता और बदलते शक्ति समीकरण नई चुनौतियाँ पैदा कर रहे हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन और इज़राइल-हमास युद्धों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज के युद्ध केवल सैन्य मोर्चों तक सीमित नहीं रह गए हैं; आर्थिक क्षमता, सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर, सूचना तथा साइबर स्पेस भी समान रूप से लक्ष्य बनाए जाते हैं। इसी कारण, साइबर, स्पेस, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे मल्टी-डोमेन युद्ध के लिए राष्ट्रीय शक्ति के सभी तत्व - डिप्लोमेटिक , इन्फॉर्मेशनल , मिलिट्री और इकनोमिक का तकनीक आधारित, निर्बाध समन्वय अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रेसिलिएंस शासन, उद्योग और नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही मजबूत होती है - यही व्होल ऑफ़ नेशन एप्रोच की मूल भावना है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में 'राष्ट्र की सुरक्षा हर नागरिक की आदत और आत्मा बननी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के मार्गदर्शन को रेखांकित करते हुए उन्होंने 'व्यक्ति केंद्रित से राष्ट्र केंद्रित सोच अपनाने का आह्वान किया।
सेमिनार में वरिष्ठ सैन्य रणनीतिकारों, वेटरन्स, कूटनीतिज्ञों, नौकरशाहों, उद्योग विशेषज्ञों, नवाचार क्षेत्र, राज्य प्रशासन के वरिष्ठ हितधारकों, प्रमुख मीडिया संस्थानों और जयपुर की विभिन्न विश्वविद्यालयों के 130 छात्रों ने भाग लिया। विचार-विमर्श का मुख्य केंद्र उभरते मल्टी -डोमेन खतरों को समझना और एक प्रभावी राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा तैयार करना रहा। प्रश्नोत्तर सत्रों में कई नवीन विचार सामने आए I 'सिटीजन वारियर्स ' की अवधारणा के तहत यह संदेश दिया गया कि हर नागरिक राष्ट्र का 'गेट कीपर'है। साथ ही मिलिट्री -सिविल फ्यूज़न में मौजूद संस्थागत, तकनीकी और संचालनात्मक कमियों की पहचान कर सभी हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय और नीतिगत सुधार के उपाय सुझाए गए।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित