नयी दिल्ली , नवम्बर 26 -- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में जीन-परिवर्तित धान की किस्मों 'पूसा डीएसटी-1' और 'डीआरआर धान 100 कमला' के मूल्यांकन में पक्षपात के आरोपों को बुधवार को खारिज कर दिया।
आईसीएआर ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अखिल भारतीय समन्वित धान अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपीआर) के बहु-स्थानिक परीक्षणों के तहत धान की किस्मों 'पूसा डीएसटी-1' और 'डीआरआर धान 100 कमला' का मूल्यांकन निर्धारित वैज्ञानिक प्रणाली के अनुसार किया गया है।
आईसीएआर ने इस कामकाज की प्रणाली को स्पष्ट करते हुए कहा कि एआईसीआरपीआर में धान की किस्मों के उत्पादक अपनी विकसित किस्मों को बहु-स्थानीय परीक्षणों के लिए नामांकित करते हैं। इसके बाद इन किस्मों को दो से तीन वर्ष की अवधि में देशभर के लगभग 100 परीक्षण स्थलों पर स्वतंत्र क्षेत्रीय मूल्यांकन और सत्यापन के लिए भेजा जाता है।
परिषद ने स्पष्ट किया कि यह प्रणाली साल 1965 से ही चलती आ रही है और इसके जरिए हर साल 1200 से अधिक धान की किस्मों का परीक्षण किया जाता है। यह स्थापित व्यवस्था अब तक धान की 1,750 से अधिक हाइब्रिड किस्मों के विकास में योगदान दे चुकी है। इसी प्रक्रिया के तहत पूसा डीएसटी-1 और डीआरआर धान 100 कमला, किस्मों का भी मूल्यांकन किया गया है।
आईसीएआर ने यह भी स्पष्ट किया कि उपलब्ध परीक्षणों के आधार पर ये दोनों जीन-परिवर्तित किस्में अपने लक्षित वातावरण में बेहतर उपज देती हैं।
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