शिमला , दिसंबर 26 -- हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में डॉक्टर और मरीज के बीच हुई हाथापाई का मामला अब और गरमा गया है। बर्खास्त डॉक्टर राघव नरुला के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि उक्त घटना में शामिल मरीज का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड रहा है।
डॉक्टरों के समूहों के अनुसार, संबंधित मरीज अर्जुन सिंह के खिलाफ जून 2025 में कुपवी पुलिस स्टेशन में मारपीट और धमकी देने की धाराओं (बीएनएस) के तहत मामला दर्ज हुआ था। समर्थकों का तर्क है कि मरीज को केवल 'पीड़ित' के रूप में पेश करना गलत है। उनका दावा है कि मरीज का पिछला रिकॉर्ड उसके हिंसक स्वभाव को दर्शाता है, जिससे डॉक्टर के 'आत्मरक्षा करने' वाले पक्ष को मजबूती मिलती है।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का आरोप है कि काट-छाँट कर वायरल किए गए वीडियो के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ एकतरफा और कठोर कार्रवाई की गई है। उनका कहना है कि अस्पताल में हिंसा किसी भी ओर से गलत है, लेकिन जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। केवल डॉक्टर को निशाना बनाना और मरीज या उसके साथ आए लोगों के व्यवहार को नजरअंदाज करना न्याय के खिलाफ है।
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