अहमदाबाद , नवंबर 15 -- रुमेटोलॉजी एसोसिएशन गुजरात (आरएजी) ने अहमदाबाद में शनिवार से दो दिन गठिया और ऑटोइम्यून (स्वप्रतिरक्षी) रोगों पर एक अकादमिक सम्मेलन का आयोजन किया है।
रुमेटोलॉजी एसोसिएशन गुजरात की अध्यक्ष डॉ. रीना शर्मा ने यहां बताया कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में इस क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञ, चिकित्सक, शोधकर्ता और स्नातकोत्तर छात्र शिक्षा, सहयोग और वैज्ञानिक आदान-प्रदान पर गहन विचार विमर्श करने लिए एकत्रित होंगे। इस सम्मेलन में रुमेटोलॉजी के क्षेत्र में भारत के दो सबसे प्रतिष्ठित एवं अग्रणी डॉ. अरविंद चोपड़ा (आयुष प्रतिष्ठित वैज्ञानिक अध्यक्ष और निदेशक-सेंटर फॉर रुमेटिक डिजीज, पुणे) तथा इंडियन जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी के प्रधान संपादक और एसजीपीजीआई, लखनऊ में क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रुमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दुर्गा प्रसन्ना मिश्रा शामिल होंगे।
डॉ. शर्मा ने कहा कि, " भारत में आर्थराइटिस (गठिया) और मस्कुलोस्केलेटल विकार को नजरअंदाज किया जाता है और अपेक्षाकृत कम रिपोर्ट किया जाता है। 19.5 करोड़ से अधिक भारतीय, गठिया से संबंधित दर्द से जूझ रहे हैं। ऐसे में इस रोग को लेकर अधिक जागरूकता, आधुनिक और पारंपरिक प्रणालियों के बीच बेहतर समन्वय और मज़बूत नैदानिक सहयोग की तत्काल आवश्यकता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य, विभिन्न विषयों को एक साझा मंच पर लाकर इस मुद्दे का समाधान करना है, ताकि रोगियों की समझ बढ़ सके और उनके परिणामों में सुधार हो सके।"विश्व स्वास्थ्य संगठन के कम्युनिटी ओरिएंटेड प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ रूमेटिक डिजीज (सीओपीसीओआरडी) के अंतर्गत डॉ. चोपड़ा और उनके सहयोगियों द्वारा प्रकाशित हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत में गठिया से पीड़ित लोगों में लगभग 65 प्रतिशत महिलाएं हैं और देश में हर पांच में से एक महिला को गठिया से संबंधित हड्डी और जोड़ों का दर्द है। इस टीम ने 55,000 से ज़्यादा लोगों को शामिल करते हुए 21 सर्वेक्षण पूरे किये हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में किये गये हैं।
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