गुवाहाटी , अक्टूबर 16 -- असम के बक्सा जिले में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पुलिस ने अपने कर्मियों की सभी छुट्टियां रद्द कर दी हैं, जिनमें पहले से स्वीकृत छुट्टियां भी शामिल हैं।
प्रशासन ने मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं को निलंबित करने के साथ ही बीएनएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
असम पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि चिकित्सा कारणों जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर पूर्व में स्वीकृत आकस्मिक छुट्टियों और स्टेशन छुट्टियों सहित सभी छुट्टियां तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई हैं।
बुधवार को ज़ुबीन गर्ग मौत मामले के पांच आरोपियों को मुशालपुर स्थित बक्सा जिला जेल में स्थानांतरित करने के प्रयास के बाद उग्र भीड़ और पुलिस के बीच भीषण झड़प हुई। हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए और पांचों आरोपियों को ले जा रहे उच्च सुरक्षा वाले काफिले पर पथराव किया। इन आरोपियों में नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के आयोजक श्यामकानु महंत, ज़ुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा, ज़ुबीन के चचेरे भाई संदीपन गर्ग और ज़ुबीन गर्ग के दो निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ), नंदेश्वर बोरा और परेश बैश्य शामिल थे।
असम पुलिस ने अदालत के आदेश के अनुसार पांचों आरोपियों को बक्सा की नवनिर्मित ज़िला जेल में स्थानांतरित करने की कोशिश कर रही थी , जिसके विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। इसी दौरान पुलिस के लाठीचार्ज करने पर भीड़ हिंसक हो गयी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए खाली गोलियां चलाईं । भीड़ के पथराव और पुलिस एवं सुरक्षा बलों के जवाबी हमले में पुलिसकर्मियों सहित 30 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। बाद में सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स और अन्य ज़िलों से अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बक्सा भेजा।
असम के विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने बुधवार को बक्सा में हुई घटना के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। आयोग को दी गई अपनी शिकायत में श्री सैकिया ने उल्लेख किया कि यह विरोध प्रदर्शन "ज़ुबीन गर्ग के लिए न्याय" आंदोलन का भावनात्मक हिस्सा था।
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