बेंगलुरु , नवंबर 13 -- हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय प्रशासनिक और आपराधिक दोनों ही जांच के घेरे में आ गया है। उसे एक ओर जहां राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) ने भ्रामक मान्यता दावों के लिए दोषी ठहराया है, वहीं दूसरी तरफ वह 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला के पास विस्फोट की जांच के घेरे में भी आ गया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय एनएएसी ने अल -फलाह को अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता विवरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एनएएसी के निदेशक प्रोफेसर गणेशन कन्नबिरन के 12 नवंबर के इस नोटिस में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि उसके घटक कॉलेजों को 'एनएएसी द्वारा A ग्रेड' दिया गया है, जबकि उनकी मान्यता वर्षों पहले समाप्त हो चुकी थी।

परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी को पिछली बार साइकिल-1 में ग्रेड 'ए' (सीजीपीए 3.08) के साथ मान्यता प्राप्त थी, जो 23 मार्च, 2013 से 22 मार्च, 2018 तक मान्य थी, जबकि अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को 27 मार्च, 2011 से 26 मार्च, 2016 तक ग्रेड 'ए' (सीजीपीए 3.16) प्राप्त था। दोनों संस्थान साइकिल-2 मान्यता के लिए आवेदन करने में विफल रहे। परिषद ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित जानकारी को 'पूरी तरह से गलत और भ्रामक' बताते हुए अल-फलाह को मान्यता संबंधी सभी संदर्भ हटाने और सात दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। परिषद ने इसके साथ ही यह चेतावनी भी जारी की है कि वह विश्वविद्यालय और उसके कार्यक्रमों की मान्यता वापस लेने की सिफारिश कर सकती है।

दिल्ली विस्फोट मामले में भी विश्वविद्यालय का नाम सामने आने के बाद मामला और गंभीर हो गया है। अल-फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी वित्तीय धोखाधड़ी में अपनी संलिप्तता और दो दशक पहले तिहाड़ जेल की सजा के कारण जांच के घेरे में आ गए हैं। अल फलाह पर हाल में तब नजर पड़ी जब दिल्ली पुलिस ने लाल किला के समीप विस्फोट के सिलसिले में विश्वविद्यालय से जुड़े डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया।

एक अन्य संदिग्ध डॉ. उमर नबी जिसकी कार में विस्फोट के दौरान मौत हो गई थी वह भी उसी उसी संस्थान से जुड़ा था।

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