नयी दिल्ली , नवंबर 24 -- चीन के शंघाई में भारतीय पासपोर्ट के कारण अरुणाचल प्रदेश की महिला को हवाई अड्डे पर रोके जाने के मामले में भारत ने चीन से कड़ी आपत्ति जतायी है और कहा है कि उसके अधिकारियों का व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय संधियों के खिलाफ है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत ने नयी दिल्ली में चीनी दूतावास के अधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया और साथ ही चीन की राजधानी बीजिंग में भारतीय राजदूत ने भी इस मुद्दे को उठाया। शंघाई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भी इस मुद्दे को अस्वीकार्य बताते हुए स्थानीय अधिकारियों के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करायी।
सूत्रों ने बताया कि जैसे ही इस घटना का पता चला भारत ने उसी दिन दिल्ली, बीजिंग और शंघाई में संबंधित चीनी अधिकारियों के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करायी और उक्त यात्री को पूरी मदद मुहैया करायी। भारत ने चीनी अधिकारियों के समक्ष दोहराया कि अरुणाचल प्रदेश निर्विवाद रूप से भारत का हिस्सा है और वहां के निवासियों को भारतीय पासपोर्ट रखने तथा उसके साथ यात्रा करने का पूरा अधिकार है, यात्री को अकारण हिरासत में लिया गया था।
घटना 21 नंवबर की है। अरुणाचल प्रदेश में जन्मी यह महिला भारतीय पासपोर्ट के साथ शंघाई के रास्ते ब्रिटेन की राजधानी लंदन से जापान के ओसाका जा रही थी। शंघाई में उसे कनेक्टिंग फ्लाइट के लिए तीन घंटे रुकना था। महिला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि उसे इसलिए रोक लिया गया कि उसके पास भारतीय पासपोर्ट था। चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना था कि अरुणाचल प्रदेश ''चीन का हिस्सा है'' और इसलिए उसका भारतीय पासपोर्ट अवैध है। उसे 18 घंटे तक हवाई अड्डे पर रोका गया और अंत में भारतीय वाणिज्य दूतावास के हस्तक्षेप के बाद अगले दिन ओसाका के लिए जाने दिया गया।
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