चंडीगढ़ , दिसंबर 25 -- हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने अरावली पर्वत श्रृंखला में नये खनन पट्टों पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा और सराहनीय कदम बताया है।
श्री विज ने कहा कि अरावली विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और इसका संरक्षण केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के पर्यावरणीय संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद लोगों के बीच यह भ्रांति फैल गयी थी कि अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन की अनुमति दी जाएगी, जिससे पर्वत श्रृंखला को भारी नुकसान पहुंचेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए निर्देश जारी कर दिये हैं कि अरावली क्षेत्र में अब किसी भी प्रकार का नया खनन पट्टा नहीं दिया जाएगा। साथ ही, पहले से जारी खनन पट्टों की भी समीक्षा और पुनर्विचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि लगभग 600 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वत श्रृंखला दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक फैली हुई है। यह क्षेत्र जल संरक्षण, वायु शुद्धता और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा अरावली क्षेत्र में अतिरिक्त जोन और क्षेत्रों की पहचान के निर्देश दिये गये हैं, जिससे संरक्षण की प्रक्रिया और प्रभावी हो सके।
विपक्ष द्वारा इस विषय को लेकर सरकार पर लगाये जा रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए श्री विज ने कहा कि न्यायालय के फैसले को राजनीति से जोड़नापूरी तरह अनुचित है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न्यायपालिका का है, न कि सरकार का, और विपक्ष बिना तथ्य समझे भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर श्री विज ने बंगलादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इतिहास में हुई राजनीतिक गलतियों की सजा देश आज भी भुगत रहा है। उन्होंने कहा, "ख़ता लम्हों ने की, सज़ा सदियों ने पायी।" उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय लिए गये कुछ फैसलों का प्रभाव आज भी दिखायी दे रहा है और अब ऐसे मुद्दों पर गंभीर मंथन की आवश्यकता है।
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