वॉशिंगटन , अक्टूबर 16 -- अमेरिका में न्यायाधीश केंद्रा ब्रिग्स ने दो अश्वेत नाबालिगों को एक श्वेत व्यक्ति पर हमला करने और कार लूटने की कोशिश के मामले में जेल के बजाय सुधार गृह भेजने की सजा सुनायी, जिसके बाद यह मामला रंगभेद संबंधी व्यवहार करने के आरोप में सुर्खियों में आ गया है।
अदालत के इस फैसले के बाद अमेरिका में रंगभेद को लेकर नयी बहस छिड़ गयी है। यह फैसला आने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और टेस्ला कंपनी प्रमुख एलन मस्क दोनों ने इसे "न्याय में नस्लीय दोहरा मापदंड" बताते हुए आलोचना की है।
श्री ट्रम्प के समर्थकों ने कहा कि यह फैसला "शर्मनाक" है और इससे अपराधियों को गलत संदेश जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका में "अश्वेत अपराधियों" के लिए न्याय व्यवस्था नरम रवैया अपनाती है, जबकि "श्वेत आरोपियों" को सख्त सजा दी जाती है।
श्री ट्रम्प ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे लगता है कि न्यायाधीश को खुद पर शर्म करनी चाहिये। यह एक बड़ी समस्या है। एलन मस्क ने एक्स पर लिखा, "अगर आरोपी श्वेत और पीड़ित अश्वेत होते, तो फैसला पूरी तरह उल्टा होता। उन्होंने इसे नस्लवाद से प्रेरित फैसला कहा।
दूसरी ओर, न्यायाधीश ब्रिग्स और उनके समर्थकों का कहना है कि यह फैसला कानून और किशोर न्याय सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसमें नाबालिगों को सुधारने पर जोर दिया जाता है। न्यायमूर्ति ब्रिग्स ने न्यायालय में कहा कि "किशोर न्याय प्रणाली का मकसद सजा देना नहीं, बल्कि उन्हें सुधरने का मौका देना है।"फैसले के तहत दोनों किशोरों पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, एक-दूसरे से संपर्क न रखने जैसी शर्तें लगाई गई हैं।
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