न्यूयॉर्क/सैन फ्रांसिस्को , अक्टूबर 19 -- अमेरिका में शनिवार को 2,700 शहरों और कस्बों में लाखों लोग राष्ट्रव्यापी 'नो किंग्स' विरोध प्रदर्शनों में सड़कों पर उतर आये। यह अमेरिकी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन था।

उल्लेखनीय है कि 'नो किंग्स' आंदोलन का यह दूसरा प्रदर्शन था। इससे पहले इसी साल 14 जून को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्म दिन पर पहले प्रदर्शन का आयोजन हुआ था, जिसमें पचासों राज्यों से हजारों लोगों ने भाग लिया था। प्रदर्शनकारी श्री ट्रंप के तानाशाही रवैये के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। उनका कहना है कि श्री ट्रंप एक लोकतंत्र में राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जो असंवैधानिक है।

न्यूयॉर्क शहर में 1,00,000 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी टाइम्स स्क्वायर पर जमा हुए थे, जिनके हाथों में 'नफ़रत अमेरिका को महान नहीं बनाएगी', अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) को न्यूयॉर्क शहर से बाहर करो', 'हमारे संविधान की रक्षा करो', 'लोकतंत्र, राजतंत्र नहीं' और 'संविधान वैकल्पिक नहीं है' जैसे पोस्टर थे।

एक प्रदर्शनकारी टोनी चार्ली ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवास एक परंपरा है और प्रवासी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। " आईसीई अपराधियों के पीछे नहीं पड़ रही, बल्कि उन निर्दोष लोगों के पीछे पड़ रही है जो मेहनती हैं और इस देश में योगदान दे रहे हैं।"सैन फ़्रांसिस्को में प्रशासन की आव्रजन कार्रवाई और हाल ही में कई अमेरिकी शहरों में नेशनल गार्ड की टुकड़ियों की तैनाती के विरोध में लगभग 50,000 लोग सड़कों पर उतर आये थे। वहीं वाशिंगटन राज्य के सिएटल में 'सिएटल इंडिविजिबल' जैसे वकालत समूहों और विभिन्न श्रमिक संघों ने अमेरिकी शहरों से संघीय बलों की तैनाती को समाप्त करने और इस साल समाप्त होने वाली स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी के नवीनीकरण करने का आह्वान किया।

नो किंग्स कोएलिशन ने कहा कि शनिवार को देश भर में 2,500 से ज़्यादा प्रदर्शनों की योजना बनाई गई, जिसमें लाखों अमेरिकी शांतिपूर्वक यह कहने के लिए एकजुट हुए कि अमेरिका अपने लोगों का है, राजाओं का नहीं।

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