वाराणसी , अक्टूबर 8 -- अमरवीर योद्धाओं की स्मृति में बुधवार शाम दशाश्वमेध घाट पर आकाश दीप कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पांच नवंबर को गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित आध्यात्मिकता और राष्ट्रवाद को समर्पित भव्य देव-दीपावली महोत्सव के साथ समाप्त होगा।

इस अवसर पर भगीरथ शौर्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा और शहीद परिवारों को गंगा सेवा निधि द्वारा सहायता राशि प्रदान की जाएगी। 1999 के कारगिल युद्ध की विजय के बाद गंगा सेवा निधि ने अमर शहीदों की पुण्य स्मृति में आकाश दीप संकल्प को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। संस्था द्वारा पूरे कार्तिक मास में भारत के अमर वीर योद्धाओं की स्मृति में आकाश दीप जलाए जाते हैं। यह कार्यक्रम देव-दीपावली महोत्सव के साथ समाप्त होता है, जिसमें अमरवीर योद्धाओं को 'भगीरथ शौर्य सम्मान' से सम्मानित किया जाता है।

काशी में सदियों से गंगा घाटों पर पूर्वजों की स्मृति में उनके स्वर्गलोक की यात्रा को आलोकित करने के लिए आकाश दीप जलाने की परंपरा रही है। 1999 के कारगिल युद्ध ने गंगा सेवा निधि को प्रेरित किया कि अतीत से वर्तमान तक के सभी वीर योद्धाओं की स्मृति में आकाश दीप जलाकर उन्हें भावांजलि अर्पित की जाए। इस भावना ने काशी की प्राचीन आकाश दीप परंपरा को राष्ट्रवाद से जोड़ दिया।

संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि मान्यता है कि कार्तिक मास के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। कार्तिक मास में गंगा घाटों पर जलने वाला आकाश दीप इस बात का प्रतीक है कि हमारे शहीदों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा का प्रकाश कितना प्रज्ज्वलित है। देव-दीपावली महोत्सव पर भगीरथ शौर्य सम्मान से शहीदों को नमन किया जाता है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित