दंतेवाड़ा , नवंबर 08 -- छत्तीसगढ़ के बस्तर के दुर्गम अबूझमाड़ इलाके से जुड़ा बड़ा प्रेरक उदाहरण सामने आया है। शासन-प्रशासन से वर्षों तक गुहार लगाने के बाद भी सड़क नहीं बनने पर ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान से 12 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार कर दी। यह सड़क बड़ेकरका गांव से लेकर कोशलनार दो तक बनाई गई है।
यह इलाका पहले नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहा है, लेकिन अब शांति लौटने के बाद भी विकास कार्यों की रफ्तार नहीं बढ़ी। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने विधायक, कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों से कई बार सड़क निर्माण की मांग की मगर किसी ने सुनवाई नहीं की।
जब उम्मीद खत्म हुई तो तीन पंचायतों कोशलनार 1, कोशलनार 2 और हाँदावाड़ा पंचायत के कुरसिंग बाहर गांवों के ग्रामीणों ने मिलकर अपने दम पर सड़क बनाने का निर्णय लिया। ग्रामीण जीला राम तोली ने बताया,"हमने सालों से प्रशासन से कहा कि हमें सड़क चाहिए, लेकिन कोई सुनने नहीं आया। अब हमने खुद ही फावड़ा-गैंती उठाकर सड़क बना डाली। अब कम से कम बारिश और गर्मी में राशन, इलाज या स्कूल जाने में दिक्कत नहीं होगी।"सरपंच पति माहीराम लेखाम (ग्राम - कोशलनार 2) ने कहा,"सरकारी योजना का इंतजार करते-करते लोग थक चुके थे। अब सड़क बन जाने से गांव तक एंबुलेंस, राशन वाहन और स्कूल वाहन आसानी से पहुंच सकेंगे।"ग्रामीणों के अनुसार बारिश या गर्मी के दिनों में उन्हें राशन दुकान तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर पहाड़ी और पगडंडी रास्ते पैदल पार करने पड़ते थे। कई बार मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता था। अब इस सड़क के बन जाने से न केवल आवागमन आसान होगा बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं तक पहुँच भी सरल हो जाएगी। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क को पूरा करने का लक्ष्य उन्होंने तीन दिनों में पूरा करने का संकल्प लिया है।
नक्सलवाद से जूझ चुके इस क्षेत्र में यह सड़क अब उम्मीद की नई राह बन गई है।
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