मुंबई , नवंबर 08 -- सोनी सब के शो 'इत्ती सी खुशी' में अन्विता का किरदार निभाना ताज़गीभरा अनुभव रहा है।

सोनी सब का चर्चित शो 'इत्ती सी खुशी' अपनी नायिका अन्विता (सुम्बुल तौकीर खान) के माध्यम से एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहा है ।एक ऐसी महिला की कहानी जो परंपराओं को चुनौती देने का साहस रखती है। जहां आमतौर पर टीवी की नायिकाएं अपने प्रियजनों के लिए हर कष्ट सहने और त्याग करने में ही महानता समझती हैं, वहीं अन्विता दर्दनाक परिस्थिति में खड़े होकर खुद के लिए खड़े होने का साहस दिखाती है।पारंपरिक नायिकाओं से अलग, जो अपनों को बचाने के लिए किसी भी हद तक चली जाती हैं, अन्विता तब भी अपने अस्तित्व को प्राथमिकता देती है जब मामला उसके खुद के परिवार का हो। उसका निर्णय स्वार्थ से नहीं, बल्कि अपने छोटे भाई-बहनों की भलाई के लिए अपनी सेहत और स्थिरता को बनाए रखने की सोच से प्रेरित है।जब उसके पिता सुहास (वरुण बडोला) को लिवर सिरोसिस का पता चलता है और उन्हें तुरंत ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है, तब अन्विता को पता चलता है कि उसका लिवर मैच करता है। लेकिन तुरंत फैसला लेने के बजाय, वह ठहरकर अपने परिवार के भविष्य के बारे में सोचती है, खासकर अपने छोटे भाई-बहनों के बारे में, जो पूरी तरह उस पर निर्भर हैं।अपना लिवर दान न करने का उसका फैसला स्वार्थी नहीं, बल्कि गहरी समझ और दूरदृष्टि का प्रतीक है। अन्विता पल भर की भावना में नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लंबे भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेती है। वह समझती है कि उसकी सेहत और मौजूदगी उसके परिवार की स्थिरता के लिए कितनी ज़रूरी है। हर परिणाम को सोच-समझकर तौलने का उसका तरीका आज की आधुनिक और यथार्थवादी प्रेम और जिम्मेदारी की समझ को दर्शाता है।

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