चेन्नई , अक्टूबर 19 -- तमिलनाडु के प्रमुख तकनीकी शिक्षा संस्थान अन्ना विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों में घोस्ट फैकल्टी का मामला सामने आया है जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय के सिंडिकेट ने रजिस्ट्रार, संबद्धता निदेशक और अन्य अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया है।
यह कार्रवाई उनके खिलाफ सतर्कता (विजिलेंस) मामले के बाद की गई है। पिछले साल अगस्त में विश्वविद्यालय की विस्तृत जांच ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें पता चला कि 676 शिक्षक एक ही समय में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में पूर्णकालिक संकाय सदस्य के रूप में काम कर रहे थे।
यह खुलासा 52,000 शिक्षकों के डेटाबेस के विश्लेषण के बाद हुआ। जहां एक व्यक्ति 22 कॉलेजों में काम कर रहा था, वहीं 20 अन्य 10 संस्थानों की पेरोल पर थे। सभी घोस्ट फैकल्टी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ अरप्पोर इयक्कम ने जुलाई में यह घोटाला उजागर किया था, जिसमें बताया गया कि 2023-24 में 353 शिक्षक कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में काम कर रहे थे और कार्रवाई की मांग की गई थी।
तकनीकी शिक्षा निदेशालय के आयुक्त टी. अब्राहम की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने पाया कि संबद्ध कॉलेजों ने 2023-24 में लगभग 2000 संकाय पदों को फर्जी नियुक्तियों के साथ भरा था। इसके अलावा, कई शिक्षक एक साथ कई कॉलेजों में काम करते पाए गए।
हालांकि 200 से अधिक कॉलेज इस रैकेट में शामिल पाए गए, सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने केवल उप-कुलपति आर. वेलराज, रजिस्ट्रार जे. प्रकाश, संबद्धता निदेशक वी.आर. गिरी देव और आठ अन्य लोगों के खिलाफ घोस्ट फैकल्टी घोटाले के संबंध में मामला दर्ज किया है।
जबकि राज्य सरकार ने श्री वेलराज को उनके सेवानिवृत्ति के दिन यानी मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में सेवा समाप्त होने पर निलंबित कर दिया था। लेकिन राज्यपाल आर.एन. रवि जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, ने इसे रद्द कर दिया और उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
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