चंडीगढ़ , अक्टूबर 09 -- पंजाब भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने गुरुवार को कहा कि जातिगत और सांप्रदायिक भावनाओं का शोषण करके शांति और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने का सीधा प्रयास किया जा रहा है।

श्री कैथ ने कहा कि देश में जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रयास जारी हैं, वहीं हाल ही में हुई दो घटनाओं ने अनुसूचित जाति समुदाय में गंभीर चिंतायें पैदा कर दी हैं। ये दो दुखद घटनायें दर्शाती हैं कि एक उच्च शिक्षित न्यायाधीश और अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ ऐसा व्यवहार किया गया है जो सभ्य समाज में अस्वीकार्य है। ये दुखद और हृदयविदारक घटनायें मानवता के लिए कलंक हैं।

श्री कैंथ ने कहा, " समाज में गलत संदेश देने के लिए भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को निशाना बनाकर सोशल मीडिया पर अवैध और आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित की जा रही है, जो अत्यंत निंदनीय है। ऐसी घटनाओं से एक अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसी घटनाओं से समाज में केवल नफरत और तनाव ही बढ़ेगा, जो एक विकसित भारत के लिए खतरनाक है। "उन्होंने कहा कि दलित समुदाय अभी भी संविधान द्वारा प्रदत्त समानता से वंचित हैं। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर का सपना अधूरा है। उन्होंने हरियाणा सरकार के भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के संबंध में कहा कि उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में उत्पीड़न और भेदभाव के अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि अपने आईपीएस और भारतीय प्रशासनिक सेवा के सहयोगियों द्वारा लगातार डाले जा रहे मानसिक और प्रशासनिक दबाव के कारण उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। यह अत्यंत निंदनीय है।

श्री कैंथ ने कहा कि केंद्र और हरियाणा सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और न्याय सुनिश्चित करना चाहिए। अनुसूचित जाति समुदाय में पनप रहे गुस्से और आक्रोश को शांत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "आज़ादी के 79 साल बाद भी, अनुसूचित जाति के लोगों को अपमान का सामना करना पड़ रहा है। चाहे वह भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना हो या वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या, दोनों ही एक ही गहरे पूर्वाग्रह को दर्शाते हैं। उन्होंने हमेशा भेदभाव और उपेक्षा के खिलाफ आवाज़ उठाई और अंततः अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकाई।"उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष से ऐसी घटनाओं का तत्काल संज्ञान लेने और पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने की अपील की।

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