भुवनेश्वर , दिसंबर 09 -- ओडिशा उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में पत्नी की मौत के बाद नाबालिग की देखभाल और उसके गार्जियनशिप का अधिकार उसके पिता को दिया है। न्यायालय ने तर्क देते हुए कहा, "अगर नाबालिग की देखभाल का अधिकार किसी को नहीं दिया जाता है तो बच्चे और पिता दोनों एक-दूसरे के प्यार और स्नेह से वंचित हो जाएंगे, जिसके वे प्राकृतिक रूप से हकदार हैं।"इस जोड़े की शादी 19 जून, 2019 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी। दोनों पति-पत्नी के रूप में शांति से रह रहे थे। बच्चे की मां की मौत के बाद हालांकि उसकी गार्जियनशिप को लेकर विवाद खड़ा हो गया। बच्चे के नाना ने बाद में बच्चे की देखभाल का अधिकार ले लिया।इसके बाद पिता ने इस मामले में पारिवारिक अदालत भद्रक में केस दायर कियाअपीलकर्ता की याचिका को बाद में पारिवारिक अदालत, भद्रक ने 12 जुलाई, 2022 को पारिवारिक अदालत अधिनियम, 1984 की धारा 19 और गार्जियंस एंड वार्ड्स एक्ट की धारा 47 के तहत खारिज कर दिया था। पारिवारिक अदालत ने अपीलकर्ता की गार्जियनशिप की याचिका को सिर्फ इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने हालांकि उसने खुद को बच्चे का प्राकृतिक पिता होने का दावा किया था, लेकिन वह नाबालिग का जन्म प्रमाण पत्र और अपनी पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश करने में विफल रहा।
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