नयी दिल्ली , नवंबर 17 -- उच्चतम न्यायालय ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के तमिलनाडु प्रदेश सचिव पी. षणमुगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में ध्वजस्तंभों के विवाद में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने चार सप्ताह में जवाब देने योग्य नोटिस जारी किया और आदेश दिया, "अगले आदेश तक संबंधित पक्षों को ध्वजस्तंभों के संबंध में यथास्थिति बनाए रखनी होगी , जैसा कि यह वर्तमान में है।"शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया। विशेष अनुमति याचिका खारिज होने के बाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन के समक्ष लंबित एक संबंधित आवेदन का शीर्ष अदालत के आदेश के आलोक में निपटारा कर दिया गया।

मद्रास उच्च न्यायालय ने सभी राजनीतिक दलों और संगठनों को राष्ट्रीय राजमार्गों और सरकारी भूमि सहित सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए स्थायी ध्वजस्तंभों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद यह मामला फिर से शीर्ष अदालत के समक्ष लाया गया।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने गत 11 अगस्त को एक और संबंधित अपील खारिज कर दी और उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें अनधिकृत ध्वजस्तंभों को हटाने की आवश्यकता थी। यह अपील कथिरावन ने पेश की थी, जिन्होंने मदुरै के पलंगनाथम में अन्नाद्रमुक के लिए ध्वजस्तंभ लगाने की अनुमति मांगी थी क्योंकि सहायक मंडल अभियंता ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।

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