पटना , नवंबर 14 -- वरिष्ठ कांग्रेस नेता और बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति (बीपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने विधानसभा चुनाव परिणामों को "निराशाजनक और दुखद" बताते हुए शुक्रवार को कहा कि सीट बंटवारे में देरी और खराब रणनीति महागठबंधन हार की मुख्य वजह रही।
श्री सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में हुआ विलंब और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में हुई अत्यधिक देरी ने भ्रम पैदा किया, जिससे गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुँचा। महागठबंधन के भीतर 11 सीटों पर हुए दोस्ताना मुकाबलों पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि इससे सामूहिक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण ठीक से नहीं किया गया।
महागठबंधन के भीतर समन्वय की कमी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि सीट आवंटन पर निर्णय लेने में इतनी देरी हुई कि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कौन कहाँ से चुनाव लड़ेगा।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने बिहार में पार्टी के राजनीतिक मामलों के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता संजय यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी संयुक्त रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अल्लावरु और संजय यादव दोनों ने ही सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे, इसलिए हार की ज़िम्मेदारी काफी हद तक उन्हीं की है।
कांग्रेस के नेता ने चुनाव से पहले ही महागठबंधन के उपमुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे फैसले सरकार बनने के बाद लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री के बारे में निर्णय लेना मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की जा सकती है, लेकिन विशेष रूप से चुनाव जीतने से पहले उपमुख्यमंत्री या मंत्री का नाम तय करना व्यावहारिक नहीं है।
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