नयी दिल्ली , अक्टूबर 24 -- भारत अंतर्राष्ट्रीय चावल सम्मेलन (बिर्क) का आयोजन राजधानी के भारत मंडपम में 30 और 31 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश के 2,500 से अधिक चावल निर्यातक, चावल मिलों तथा संबंधित उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ 80 से अधिक देशों के एक हजार से अधिक खरीदारों के अलावा विदेशी मिशनों के प्रतिनिधि और कई देशों के मंत्री तथा सरकारी प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

कार्यक्रम के मुख्य अयोजक भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (आईआरईएफ) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों के साथ यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह आयोजन विकसित भारत-2047 के सपने के अनुरूप है। इसका लक्ष्य घरेलू चावल उत्पादकों, निर्यातकों, वैश्विक बाजार के आयातकों, देशी-विदेशी नीति निर्माताओं, वित्तपोषकों, लॉजिस्टक्स क्षेत्र के विशेषज्ञों, अनुसंधान संस्थानों और संबद्ध सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर ऐसे उपाय निकालना है जिनसे वैश्विक चावल व्यापार में पारदर्शिता, दक्षता और उतार-चढ़ाव झेलने की शक्ति बढ़े।

सम्मेलन में स्थिरता, नवाचार और पारदर्शी नियम-आधारित व्यापार पर विशेष चर्चा होगी। आईआरईएफ ने कहा कि व्यापार, परंपरा और परिवर्तन पर केंद्रित बिर्क 2025 को चावल उद्योग क्षेत्र पर दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बनने की तैयारी है।

इसमें भारत 2025 के सबसे बड़े चावल उत्पादक और निर्यातक के रूप में भाग लेगा। भारत 172 से देशों को चावल की आपूर्ति करता है और देश में धान के उत्पादन में साल-दर-साल वृद्धि तथा पर्याप्त स्टॉक क्षमता से निर्यात निरंतर जारी रखने में सक्षम बन रहा है।

भारत ने 2024-25 में लगभग 4.7 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती कर लगभग 15 करोड़ टन चावल का उत्पादन किया था जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत है। बीज, कृषि पद्धतियों, सिंचाई कवरेज, प्रौद्योगिकी और सहायक नीतियों से चावल की पैदावार 2014-15 में 2.72 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में लगभग 3.2 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी।

एपिडा (कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के अध्यक्ष अभिषेक देव ने बताया कि फिलीपिंस, घाना, नामिबिया और गाम्बिया के विदेश मंत्री भी इस आयोजन में शामिल होंगे।

इस आयोजन को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग , सहकारिता तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ओडिशा, तेलंगाना, मेघालय, असम और मणिपुर की राज्य सरकारों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड, राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड, भारतीय बीज सहकारिता समिति लिमिटेड, और कृषक भारती सहकारी कृषि लिमिटेड (कृभको) जैसी सहकारी संस्थाओं, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी का सहयोग मिल रहा है। ईएंडवाई तथा एसएंडपी ग्लोबल जैसी परामर्श कंपनियां भी इसमें सहयोग कर रही हैं।

आयोजकों ने बताया कि फिलीपींस, म्यांमार, नाइजर, कोमोरोस, जॉर्डन, लाइबेरिया, गाम्बिया और सोमालिया इसमें भागीदार देश के रूप में शामिल हैं।

आयोग के अनुसार, भारत मंडपम के 3,000 सीटों वाले प्लेनरी हॉल और हॉल संख्या 14 (8,000 वर्ग मीटर) में आयोजित किये जा रहे इस सम्मेलन में तीन हजार किसान और एफपीओ, 80 से अधिक देशों के एक हजार से अधिक विदेशी खरीदार, ढाई हजार से अधिक निर्यातक, मिल मालिक और संबद्ध उद्योगों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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