हैदराबाद , नवंबर 27 -- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में 21वीं सदी को भारत की सदी बताते हुए गुरुवार को कहा कि सरकार इस क्षेत्र की तरह अब परमाणु क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र के लिए खोलने की दिशा में आगे बढ रही है जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा तथा प्रौद्योगिकी नेतृत्व को बल मिलेगा।
श्री मोदी ने उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान तथा नवाचार पर विशेष बल देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में सरकार देश भर में विद्यार्थियों के लिए और 50,000 अटल टिंकरिंग लैब बनाने पर काम कर रही है। अटल टिंकरिंग लैब भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य स्कूलों में छात्रों के बीच रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देना है।
श्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हैदराबाद में अंतरिक्ष उद्योग क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनी स्काईरूट के इन्फिनिटी कैंपस का उद्घाटन कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने स्काईरूट के पहले ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-1 का अनावरण किया, जिसमें उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता है।
उन्होंने इस अवसर पर कहा, ' जैसे हमने अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला , वैसे ही हम एक बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी कदम उठाने जा रहे हैं। हम न्यूक्लियर सेक्टर को भी ( निजी क्षेत्र के लिए) खोलने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।"उन्होंने कहा , ' हम परमाणु क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की सशक्त भूमिका की नींव रखने जा रहे हैं। इससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, उन्नत रिएक्टर और परमाणु प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार के अवसर बनेंगे।" उन्होंने कहा कि यह सुधार हमारी ऊर्जा सुरक्षा और प्रौद्योगिक क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका को नई शक्ति मिलेगी।
श्री मोदी ने कहा कि भारत के पास स्पेस सेक्टर में जो सामर्थ्य है, वैसा सामर्थ्य दुनिया में केवल कुछ ही देशों के पास है। देश में विशेषज्ञ इंजीनियर हैं, उच्चस्तरीय विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र, विश्वस्तरीय अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण स्थल और नवाचार को प्रोत्साहन करने वाली सोच है।
उन्होंने अंतरिक्ष उद्योग से भारत के सामर्थ्य के प्रति इस समय दुनिया के बढ़ते आकर्षण का लाभ उठाने की अपील करते हुए कहा कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र का सामर्थ्य लागत की दृष्टि से किफायती और भरोसेमंद है। इसी वजह से दुनिया की भारत से बहुत अधिक उम्मीदें हैं। वैश्विक कंपनियां भारत में उपग्रह बनाना चाहती हैं, भारत से प्रक्षेपण सेवाएं लेना चाहती हैं, भारत के साथ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भागीदारी चाहती हैं।
श्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र के बारे में कहा कि आज दुनिया में छोटे उपग्रहों की मांग लगातार बढ़ रही है। प्रक्षेपण भी तेजी से बढ़ रहे हैं। नई-नई कंपनियाँ उपग्रह सेवाएं देने लगी हैं। और अंतरिक्ष अब एक रणनीतिक सम्पत्ति के रूप में जगह बना चुका है। इसलिए, आने वाले वर्षों में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था कई गुणा बढ़ने वाली है जो भारत के युवाओं के लिए बहुत बड़ा अवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा बहुत सीमित संसाधनों से शुरू हुई थी। एक साइकिल पर रॉकेट का हिस्सा ले जाने से लेकर, दुनिया के सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान के विकास तक भारत ने सिद्ध किया है कि सपनों की ऊंचाई संसाधन से नहीं, संकल्प से तय होती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दशकों तक अकेले काम किया और अब जाकर सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला है और नयी अंतरिक्ष नीति तैयार की है। इसके साथ ही इस क्षेत्र की स्टार्टअप इकाइयों को उद्योग और नवाचार के साथ जोड़ने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने बीते 6-7 वर्षों में ही अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को एक खुले, सहकार तथा नवाचार से संचालित पारिस्थितिकी तंत्र में बदल दिया है। आज भारत के 300 से अधिक स्पेस स्टार्टअप्स, भारत के स्पेस फ्यूचर को नई उम्मीदें दे रहे हैं।
श्री मोदी ने स्काईरूट के आज के ये कार्यक्रम को इसी बदले हुए पारिस्थितिकी तंत्र की झलक बताया और कहा कि इसे देख कर उन्हें गर्व की अनुभूति हुई है। उन्होंने कहा, ' हमने ये भी निश्चय किया था कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में पांच नए यूनीकार्न तैयार होंगे। स्काईरुट की टीम जिस प्रकार आगे बढ़ रही है, उससे ये तय है कि भारत अपने हर लक्ष्य हासिल करके रहेगा।"उन्होंने भविष्य की दिशा तय करने के लिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, ' आने वाला भविष्य कैसा होगा, ये बहुत कुछ आज हो रहे अनुसंधान पर भी निर्भर करता है।'उन्होंने इस दिशा में उठाए गये कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का गठन किया गया है, जो आधुनिक अनुसंधान के लिए युवाओं की मदद करता है। "वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन" इससे सभी छात्रों की इंटरनेशनल जर्नल्स तक पहुंच आसान हुई है। एक लाख करोड़ के रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन फंड से देशभर में युवाओं को बहुत मदद मिलने वाली है।
श्री मोदी ने कहा कि 10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स विद्यार्थियों में अनुसंधान और नवाचार की भावना जगा रहे हैं। आने वाले दिनों में हम ऐसी 50,000 नई अटल टिंकरिंग लैब्स बनाने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के ये प्रयास भारत में नए नवाचारों की बुनियाद बना रहे हैं।
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