अश्विनी कुमार, मई 6 -- देवताओं और दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने वैशाख पूर्णिमा (12 मई) के दिन 'कूर्म' अवतार लिया। इन्हें 'कच्छप' अवतार भी कहा जाता है। कूर्मावतार भगवान विष्णु के दूसरे अवतार माने गए हैं। 'कच्छप' अवतार के पीछे एक पौराणिक कथा है। एक बार दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को पारिजात पुष्प की माला भेंट की। इंद्र ने अहंकारवश वह माला 'ऐरावत' के मस्तक पर डाल दी। यह देख ऋषि दुर्वासा को इंद्र पर क्रोध आ गया और उन्होंने उन्हें श्रीहीन हो जाने का शाप दे दिया। शाप के प्रभाव से लक्ष्मी सागर में लुप्त हो गईं। इससे सुर-असुर लोक का सारा वैभव नष्ट हो गया। इस घटना से दुखी होकर इंद्र भगवान विष्णु की शरण में गए। उन्होंने इंद्र से समुद्र मंथन करने को कहा और इस कार्य में असुरों की सहायता लेने के लिए कहा। इंद्र असुरों के राजा ब...