नई दिल्ली, जून 21 -- पुराणों के अनुसार एकादशी और द्वादशी की रात को जागरण करते हुए तुलसी स्तोत्र को पढ़ना चाहिए। इस तुलसी स्त्रोत में मां तुलसी की महिमा का बकान किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी और द्वादशी के दिन या तुलसी विवाह के दिन जो इस स्त्रोत को पढ़ता है, भगवान उसके अपराध क्षमा करते हैं। तुलसी स्त्रोत को सुनने से भी समान पुण्य मिलता है। ऐसा कहा है कि एकादशी के दिन जो तुलसी की पूजा करता है और तुलसी के सामने दीपक जलाता है, भगवान विष्णु की कृपा उसे मिलती है। यहां पढ़ें संपूर्ण तुलसी स्त्रोत- जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे । यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥१॥ नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥२॥ तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा । कीर्तितापि स्मृता...