नई दिल्ली, अक्टूबर 27 -- कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। आज शाम के समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की परंपरा है। आज षष्ठी तिथि को संध्याकालीन सूर्य और सप्तमी तिथि यानी कल 28 अक्टूबर 2025 को ऊषाकालीन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य कहते है। अगर कोई व्यक्ति भगवान्‌ सूर्य की मानसिक आराधना करता है तो वह भी समस्त परेशानियों से मुक्त होकर सुखी रहता है। जिस प्रकार भगवान्‌ सूर्य को कुहरा स्पर्शं नहीं कर पाता, उसी प्रकार पूजा करने वाले साधक को किसी प्रकार की परेशानियां छू भी नहीं पातीं । अगर आपने मंत्रों के साथ भक्तिपूर्वक विधि-विधान से भगवान्‌ सूर्यनारायण की आराधना को तो भी आपको लाभ होगा। ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों के अधिपति माना गया है। सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए भी सूर्य की ...