नई दिल्ली, जुलाई 18 -- 7 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं। श्राद्धपक्ष में सभी अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। अपने पितरों की तिथि के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष में पितर अपने घर तृर्प्त होने आते हैं। अगर उनका श्राद्ध होता है, तो तृप्त होकर अपनी पीढ़ी को आशीर्वाद देकर जाते हैं। सही विधि-विधान से किए गए श्राद्ध से पितर प्रसन्न होकर तृप्त होते हैं। इसलिए विधि विधान से पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।इस साल 7 सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक पितृपक्ष रहेंगे। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक श्राद्ध किए जाते हैं। लेकिन श्राद्ध करते समय अगर कुछ गलतियों को करते हैं, तो वो श्राद्ध व्यर्थ चला जाता है। स्कंदपुराण में कुछ बातों को जिक्र है, जो श्राद्ध के दौरान या बाद में नहीं करनी चाहिए। आइए जानें उन बातों के बारे में...