नई दिल्ली, अगस्त 1 -- शनिवार को शनिदेव की पूजा की जाती है। शनि देव न्याय और कर्म के देवता कहे जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो दशरथ कृत शनि स्तोत्र को पढ़ता है, शनिदेव उससे प्रसन्न होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए रचा था। उन्होंने शनि की दृष्टि से अपने राज्य को बचाने के लिए शनिदेव की स्तुति की थी। दशरथ कृत शनि स्तोत्र का वर्णन पद्म पुराण में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करता है, उसे शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोषों से राहत मिलती है। पद्मपुराण में कहा गया है कि अयोध्या के राजा दशरथ को ज्योतिषियों ने बताया कि शनिदेव कृत्तिका नक्षत्र के अंत में पहुंच गए हैं और अब वे रोहिणी नक्षत्र में जाएंगे और इसका भेदन करके आगे बढ़ेंगे। इस स्थिति में संसार में 12 सालों तक अका...