नई दिल्ली, फरवरी 18 -- लोकमानस में शबरी से जुड़ी एक लोक कथा अत्यंत प्रचलित है। कहते हैं कि जब राम, भक्ति में डूबी शबरी के जूठे बेर खा रहे थे तो बीच-बीच में वे लक्ष्मण को भी बेर खाने को दे रहे थे। लेकिन लक्ष्मण ने राम द्वारा दिए गए शबरी के जूठे बेर नहीं खाए और फेंक दिए। जब राम ने यह देखा तो उन्हें यह भक्त शबरी का अपमान लगा। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि जिस शबरी की भक्ति का अनादर करते हुए, वह बेर फेंक रहे हैं, वही बेर एक दिन संकट के समय उनके प्राणों की रक्षा करेंगे। राम-रावण युद्ध के समय जब लक्ष्मण मेघनाद की शक्ति से मूर्छित हुए थे, तब इन्हीं बेरों ने मृत संजीवनी के रूप में लक्ष्मण को पुनर्जीवन दिया था। पौराणिकमान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान राम की शबरी से भेंट हुई थी। इस दिन राम ने शबरी के...