पटना, मार्च 7 -- Ramadan 2025: माह-ए- रमजान का आगाज हो चुका है। रमजान का महीना नेकियों और बरकतों का है। इस महीने में नेक कामों एवं इबादतों का 70 गुना सवाब (पुण्य) मिलता है। इस महीने का इस्लाम में बड़ा महत्व है। इस महीने का जो रोजा रखते हैं वे तमाम नफ्सों (इच्छाओं) पर नियंत्रण रखते हैं और पूरी निष्ठा के साथ इबादत करते हैं। उसके तमाम गुनाहों को माफ कर दिया जाता। लेकिन रोजा उसका कुबूल नहीं होता जो रोजे की हालत में झूठ,फरेब, चुगलखोरी, गीबत(पीठ पीछे बुराई) करे। उसे सिर्फ भूखे रहने के सिवाय कोई फायदा नहीं। माना जाता है कि रमज़ानुलमुबारक में रोजेदारों के लिए सेहरी खाना सुन्नत व बाएसे रहमत है। जिसने सेहरी नहीं खाई, वो रोज़े के एक सवाब से महरूम रह जाता है। रमज़ान में सुबह सादिक से पहले सेहरी के समय अल्पाहार लेकर रोज़े की नीयत करना सेहरी कहलाता है। यह ...