नई दिल्ली, सितम्बर 2 -- भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा के नाम से जाना जाता है, इस जलझूलनी और परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं। इस कथा का संबंध राजा मान्धाता से है, जिन्होंने प्रजा के लिए पद्मा एकादशी का व्रत किया है। शास्त्रों में भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं-इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान जरूर करना चाहिए। पद्मा एकादशी के दिन कथा के बाद जल से भरे हुए घड़े को ढ़ंककर दही और चावल के साथ ब्राह्मण को दान देना चाहिए, साथ ही छाता ओर जूता भी देने चाहिए । दान करते समय इस मंत्र का जाप करें नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ॥ अधोघसंक्षयं कृत्वा सर्वसोख्यप्रदोी भव । भुक्तिमुक्तिप्रदशेण्. लोकानां सुखदायक: ॥ कथा इस प्रकार है- पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की का नाम, देवता और पूजाविधि के बारे में पूछा।...
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