नई दिल्ली, मार्च 7 -- जिस प्रकार भगवान शिव रहस्यमयी हैं वैसे ही उनकी वेशभूषा भी है। फूल मालाओं तथा आभूषणों के बजाय बदन पर भस्म और गले में सर्प लटका कर बाबा शृंगार करते हैं। शिव के अस्त्रत्त्, शस्त्रत्त् और वस्त्रत्त् के भी अत्यंत विशेष अर्थ हैं। इसके बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पं. विकास शास्त्रत्त्ी। *सिर पर चंद्रमा भगवान शिव का एक नाम भालचंद्र भी है। इसका अर्थ है मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाला। भगवान शिव के सिर पर अर्धचंद्रमा आभूषण की तरह सुशोभित है। * गले में सर्प लोग जिनसे दूर भागते हैं, शिव उसे ही अपने साथ रखते हैं। उनके गले में लिपटा सर्प वासुकी नाग है। वासुकी नाग भूत, वर्तमान और भविष्य के सूचक माने जाते हैं। गले में वासुकी दर्शाता है कि तमोगुणी प्रवृतियां शिव के अधीन हैं। * तीसरी आंख धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो...