नई दिल्ली, मई 10 -- भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मंच से पाकिस्तान को सीधी आर्थिक मदद देने के खिलाफ अपने विरोध को बेहद सोच-समझकर दर्ज कराया है। आईएमएफ की हालिया वोटिंग में जब पाकिस्तान को एक और कर्ज देने की मंजूरी पर चर्चा हुई, तो भारत ने इसमें हिस्सा लेते हुए 'अब्सटेन' यानी वोटिंग से दूरी बनाने का फैसला किया। क्योंकि आईएमएफ की प्रक्रिया में 'ना' कहने की कोई सुविधा नहीं होती। भारत ने ऐसा रुख क्यों अपनाया आइए जानते हैं... आईएमएफ की कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं जो दुनिया भर के देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां फैसले ज्यादातर 'सम्मति' यानी कंसेंसस से लिए जाते हैं, लेकिन अगर वोटिंग की नौबत आती है, तो कोई देश 'विरोध' में वोट नहीं कर सकता या तो समर्थन या फिर अब्सटेन की इजाजत होती है। ऐसे में भारत ने अपने विरोध को दिख...