बरेली, जून 27 -- अजादारी और इमाम हुसैन की याद का गवाह बरेली शहर में छीपी टोला का बेहद कदीमी इमामबाड़ा फतेह अली शाह मारूफ उर्फ काला इमामबाड़ा के नाम से जाना जाता है, जिसे सवा दो सौ साल पहले अवध के नवाब आसिफउद्दौला ने तामीर कराया था। इमामबाड़े की खासियत यह है कि यहां इराक के कर्बला से आई जरी मौजूद है और उस पर आयत लिखी हैं। बरेली के इमामबाड़े का गेट तीस फीट ऊंचा है। इमामबाड़े में तीन हिस्से हैं, जिसमें सबसे अंदर इमाम हुसैन के रौजे की शबीह रखी है। इसकी जालियां हूबहू इमाम हुसैन के रौजे जैसी हैं। इमामबाड़े में दो सौ साल पहले नौहाख्वानी के समय बजने वाली चकचकी लकड़ी के गुटके भी अभी तक सुरक्षित हैं। इसको आठ मुहर्रम के दिन फारसी नौहे के साथ बुजुर्ग बजाते हुए जुलूस में साथ-साथ चलते हैं।अवध लौटते समय नवाब ने तामीर कराया इमामबाड़ा हाजी अजहर अब्बास नकवी बताते ...
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